GST बना सरकार के लिए सिरदर्द, अब खत्म हो सकती हैं कई उत्पादों की रियायतें

हाल के वर्षों का सबसे बड़ा आर्थ‍िक सुधार गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है. कलेक्शन उम्मीद से कम होने से केंद्र सरकार चिंतिंत है. अब सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए कई अहम कदम उठा सकती है.

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जीएसटी संग्रह उम्मीद से कम हुआ है जीएसटी संग्रह उम्मीद से कम हुआ है

राहुल श्रीवास्तव

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  • 04 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:37 PM IST

  • जीएसटी कलेक्शन उम्मीद से कम होने से सरकार की चिंता बढ़ी
  • इस बड़े आर्थि‍क सुधार से सरकार की परेशानी खत्म नहीं हो रही
  • अब कई नई वस्तुओं-सेवाओं को जीएसटी के दायरे में लाने की तैयारी

हाल के वर्षों का सबसे बड़ा आर्थ‍िक सुधार गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है. गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) कलेक्शन उम्मीद से कम होने से केंद्र सरकार चिंतिंत है. इसलिए राजस्व बढ़ाने के लिए अब सरकार कई ऐसी वस्तुओं-सेवाओं को जीएसटी के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है, जिन्हें इससे अभी तक छूट मिली हुई है.

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इस बार भी निर्धारित लक्ष्य से जीएसटी कलेक्शन कम हुआ है. इसकी वजह से केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को तीन महीने से मुआवजा नहीं दे पाई है. अब सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए कई अहम कदम उठा सकती है.

खत्म होगी कई प्रोडक्ट की छूट

जीएसटी छूट से कई प्रोडक्ट को निकाला जा सकता है. इस पर फैसला 15 दिसंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगी.

गौरतलब है कि करीब 3 महीने से जीएसटी का मुआवजा न मिलने पर पांच राज्यों ने हाल में केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि यह बकाया तत्काल दिया जाए. पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल, राजस्थान और दिल्ली के वित्त मंत्री ने एक संयुक्त बयान जारी कर हाल में कहा था कि यह मुआवजा न मिलने से राज्य वित्तीय रूप से भारी दबाव में हैं और केंद्र सरकार ने इसकी कोई वजह भी नहीं बताई है.

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जीएसटी में राज्यों के कुल राजस्व का करीब 60 फीसदी हिस्सा होता है. जीएसटी लागू करते समय राज्य सरकारों के साथ केंद्र का जो समझौता हुआ है, उसके मुताबिक‍ इससे होने वाले राजस्व के नुकसान की केंद्र सरकार भरपाई करती है.

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