देश की अर्थव्यवस्था की हालत को लेकर मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके अरविंद सुब्रमण्यन का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू की तरफ बढ़ रही है. अगर नहीं संभाला गया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक्सपोर्ट, इंपोर्ट और सरकार के राजस्व आंकड़े भी बताते हैं कि अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर है.
क्या कहा अरविंद सुब्रमण्यन ने?
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति बेहद गंभीर है. यह 'सुस्ती' नहीं बल्कि 'बड़ी सुस्ती' है. ऐसा लग रहा है कि अर्थव्यवस्था आईसीयू की तरफ बढ़ रही है. इसके साथ ही अरविंद सुब्रमण्यन ने ट्विन (दोहरे) बैलेंस शीट (टीबीएस) संकट का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अब ''ट्विन बैलेंस शीट'' की समस्या की लहर आ चुकी है. ताजा आर्थिक मंदी की वजह यही संकट है.
क्या होता है ट्विन बैलेंस शीट संकट?
ट्विन बैलेंस शीट संकट का मतलब बैंको पर नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) का बढ़ता दबाव है. इस एनपीए में बड़ी कंपनियों का बड़ा कर्ज भी शामिल होता है. आसान भाषा में समझें तो यह संकट अर्थव्यवस्था पर दोहरी मार है. ट्विन बैलेंस शीट का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इसे दो हिस्सों टीबीएस-1 और टीबीएस-2 में बांटा है.
टीबीएस-1 के तहत स्टील, पावर और इन्फ्रा सेक्टर के कर्ज जो कि एनपीए में बदल गए उन्हें रखा गया है. वहीं टीबीएस-2 में मुख्य तौर पर नोटबंदी के बाद नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और रिएल एस्टेट फर्मों के नकदी संकट का जिक्र है. यहां बता दें कि सुब्रमण्यन ने दिसंबर 2014 में भी इस समस्या को लेकर चेतावनी दी थी, तब वे मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार थे और सरकार गठन को एक साल भी पूरे नहीं हुए थे.
IL&FS संकट भूकंप जैसी घटना
इसके साथ ही सुब्रमण्यन ने देश की सबसे बड़ी इंफ्रा लेंडर ग्रुप यानी सड़क पुल और बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी IL&FS के संकट को भूकंप जैसी घटना करार दिया है. उन्होंने कहा कि IL&FS के संकट से सिर्फ 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज का खुलासा नहीं हुआ, बल्कि बाजार पर बुरा असर पड़ा. वहीं पूरे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों सेक्टर को लेकर सवाल खड़े हो गए.
क्या है IL&FS का मामला?
IL&FS सरकारी क्षेत्र की कंपनी है और इसकी कई सहायक कंपनियां हैं. इसे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी यानी एनबीएफसी का दर्जा मिला है. अस्सी के दशक में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को कर्ज देने के मकसद से इसको बनाया गया था. इस कंपनी को लगातार अच्छे प्रोजेक्ट्स मिल रहे थे और रेटिंग एजेंसियां भी रेटिंग बेहतर देती जा रही थीं. लेकिन बाद में पता चला कि IL&FS पर 90 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है. इस खुलासे ने हर किसी को हैरान कर दिया. खुलासों में ये भी पता चला कि मैनेजमेंट ने फायदे के लिए नियमों की अनदेखी की और बैलेंसशीट को लेकर गुमराह किया.