क्या होता है जब एक पूरी पीढ़ी यह दिखावा करना बंद कर दे कि वह घर खरीद सकती है? भारत के बड़े शहरों में यही हुआ है. युवा खरीदारों ने ऊंची कीमतों वाले घरों से दूरी बना ली है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर में घरों की बिक्री में भारी गिरावट आई है. कॉइनस्विच (CoinSwitch) के को-फाउंडर आशीष सिंघल ने इसे 'बगावत' बताया है, उनका कहना है कि आज की पीढ़ी ₹2 करोड़ के बिना बालकनी वाले 2BHK फ्लैट्स और ₹80 लाख की EMI के बोझ को स्वीकार नहीं कर रही, जिसमें उनकी आधी सैलरी चली जाती है.
नए डेटा के मुताबिक, भारत के टॉप शहरों में घरों की बिक्री 19% तक गिर गई है. यह 2021 के बाद पहली बार हुआ है जब तिमाही बिक्री 1 लाख यूनिट के आंकड़े से नीचे आई है. यह गिरावट दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा 23% रही, इसके बाद मुंबई और बेंगलुरु में 15% की कमी देखी गई.
परेशान घर खरीदार दुखी नहीं हैं, बल्कि एकजुट हो रहे हैं. Reddit पर लोग खुशी मनाते हुए लिख रहे हैं- "कोई रेजिडेंशियल फ्लैट्स नहीं खरीद रहा, बहुत बढ़िया दोस्तों. यह सिलसिला जारी रखो, ज्यादा कीमत वाले फ्लैट्स मत खरीदो!"
सिंघल के लिंक्डइन पोस्ट ने इस बदलाव को अच्छे से दिखाया है. उन्होंने लिखा, "बिल्डरों ने पूरी एक पीढ़ी को घर खरीदने से बाहर कर दिया है," और मुंबई में 1BHK के लिए ₹1.5 करोड़ की कीमतों का हवाला दिया. "तो लोगों ने बस रुकना शुरू कर दिया. देखना बंद कर दिया. मोलभाव करना बंद कर दिया और यह दिखावा करना बंद कर दिया कि ये कीमतें सही हैं."
इसका नतीजा क्या हुआ? बाज़ार थम गया है, नई हाउसिंग सप्लाई में 30% की भारी गिरावट आई है. नए प्रोजेक्ट्स कई सालों के निचले स्तर पर हैं. बिल्डर, जो बिना बिके घरों के स्टॉक पर बैठे हैं, अब उस जमीन पर ब्याज चुका रहे हैं जो बिक नहीं रही है. सिंघल ने कहा, "बिना बिके घरों की वजह से बिल्डरों को हर महीने जितना नुकसान हो रहा है, उससे 10% की कीमत घटाने पर भी कम नुकसान होता, लेकिन घमंड बहुत महंगा होता है."
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