टाटा संस के पूर्व चेयरमैन Ratan Tata की आज पुण्यतिथि है. बीते साल 9 अक्टूबर 2024 को उनका मुंबई में निधन हो गया था. रतन टाटा के साथ उनके सबसे करीबी दोस्त शांतनु नायडु हमेशा साये की तरह मौजूद नजर आए. उनकी अंतिम यात्रा में भी शांतनु सबसे आगे दिखाई दे रहे थे. उम्र में बड़ा अंतर होने के बावजूद दोनों की दोस्ती हमेशा से सुर्खियों में रहा. ये इतनी पक्की थी कि रतन टाटा ने अपनी वसीयत में भी उन्हें शामिल रखा. क्या आप जानते हैं कि फिलहाल Shantanu Naidu कहां हैं और क्या कर रहे हैं?
टाटा मोटर्स में शांतनु का बड़ा रोल
दिवंगत भारतीय बिजनेसमैन रतन टाटा के चहेते और सबसे करीबी रहे शांतनु नायडू टाटा ग्रुप की ऑटोमोबाइल कंपनी में बड़ा रोल निभा रहे हैं. Tata Motors में शांतनु जनरल मैनेजर और स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स हैं. इसके अलावा वे टाटा स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल मुंबई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी शामिल हैं. टाटा की कंपनी और हॉस्पिटल में बड़े पदों पर रहने के साथ ही वे बुजुर्गों के लिए खोले गए अपने स्टार्टअप Goodfellows India की जिम्मेदारी भी बखूबी संभाल रहे हैं. इसके अलावा वे 'बुकीज' प्रोजेक्ट पर भी लगे हैं. बता दें कि इसका उद्घाटन रतन टाटा ने ही किया था.
निधन के बाद किया था भावुक पोस्ट
Ratan Tata की अंतिम यात्रा में नम आंखों के साथ शांतनु नायडू बाइक से आगे-आगे चल रहे थे. इसके बाद उन्होंने अपने लिंक्डइन अकाउंट पर एक इमोशनल पोस्ट भी शेयर किया था. उन्होंने इसमें लिखा था कि 'इस दोस्ती ने मेरे अंदर खालीपन पैदा कर दिया, मैं अपनी बाकी की जिंदगी उसे भरने की कोशिश में बिता दूंगा. प्यार के लिए दुख की कीमत चुकानी पड़ती है. अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस." इसके साथ ही उन्होंने एक पुरानी तस्वीर भी साझा की थी, जिसमें वे रतन टाटा के साथ दिखाई दे रहे थे.
रतन टाटा की वसीयत में भी शामिल
86 साल की उम्र दुनिया को अलविदा कहने वाले रतन टाटा ने अपनी वसीयत में भी करीबी दोस्त शांतनु नायडु को शामिल किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोस्ती का इनाम देते हुए रतन टाटा ने अपनी वसीयत में जहां एक ओर Shantanu द्वारा एजुकेशन के लिए लिया गया पर्सनल लोन माफ कर दिया था, तो वहीं दूसरी ओर उनके स्टार्टअप 'गुडफेलोज' में अपनी हिस्सेदारी भी छोड़ दी थी.
ऐसे रतन टाटा का करीब आए शांतनु
शांतनु नायडू का जन्म 1993 में पुणे में हुआ था. साल 2014 में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से शांतनु ने इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की थी. इसके बाद, 2016 में कॉर्नेल जॉनसन ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने टाटा एलेक्सी में ऑटोमोबाइल डिजाइन इंजीनियर के तौर पर की.
रतन टाटा से शांतनु नायडू की मुलाकात के बारे में बात करें, तो इसकी वजह पशु प्रेम रहा. साल 2014 में शांतनु एक्सीडेंट में घायल होने वाले बेसहारा कुत्तों को बचाने के लिए आगे आए थे और उनके गले में रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाकर लगवाते थे. जिससे सड़क पर वाहन चलाते हुए ड्राइवर को यह रिफ्लेक्टिव कॉलर अंधेरें में भी दिखते थे और वाहन रुक जाते थे. इस काम ने रतन टाटा को बहुत प्रभावित किया था, जिसके बाद दोनों की मुलाकात हुई और शांतनु के असिस्टेंट बनने के बाद गहरे दोस्त हो गए.
आजतक बिजनेस डेस्क