जब रतन टाटा भूल गए थे नितिन गडकरी के घर का पता... फिर कैसे पहुंचे? मजेदार किस्सा

रतन टाटा ने कहा था कि नितिन मैं तुम्‍हारे घर पहुंच नहीं पाऊंगा, जब मैंने कारण पूछा तो उन्‍होंने कहा कि मैं तुम्‍हारे घर का रास्‍ता भूल चुका हूं. फिर मैंने उनसे बोला कि फोन अपने ड्राइवर को दीजिए. रतन टाटा ने सादगी भरे अंदाज में कहा कि मेरे पास ड्राइवर नहीं है, मैं खुद ही कार चला रहा हूं.

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नितिन गडकरी और रतन टाटा नितिन गडकरी और रतन टाटा

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली ,
  • 13 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

देश के दिग्‍गज कारोबारी रतन टाटा (Ratan Tata) अब इस दुनिया में नहीं हैं. लेकिन उनकी सादगी और परोपकारी के किस्‍से हम सुनते आ रहे हैं. उनकी सादगी हर किसी का दिल जीत लेती थी. भारत के सबसे बड़े ग्रुप का चेयरमैन होने के बावजूद रतन टाटा टाइमलाइट से दूर रहते थे और बेहद ही सादगी भरा जीवन जीते थे, उन्‍हें लग्‍जरी चीजों का शौक नहीं था. ऐसे ही सादगी और विनम्रता भरा किस्‍सा नितिन गडकरी ने सुनाया था. यह किस्‍सा अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

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नितिन गडकरी ने सुनाया मजेदार किस्‍सा 
नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बताया था कि जब वे मुझसे मिलने के लिए मेरे घर आ रहे थे तो वह रास्‍ता भूल गए थे. रतन टाटा ने कहा था कि नितिन मैं तुम्‍हारे घर पहुंच नहीं पाऊंगा, जब मैंने कारण पूछा तो उन्‍होंने कहा कि मैं तुम्‍हारे घर का रास्‍ता भूल चुका हूं. फिर मैंने उनसे बोला कि फोन अपने ड्राइवर को दीजिए. रतन टाटा ने सादगी भरे अंदाज में कहा कि मेरे पास ड्राइवर नहीं है, मैं खुद ही कार चला रहा हूं. 

इसके बाद मैं बड़ा ही हैरान हुआ और पूछा कि आपके पास वाकई ड्राइवर नहीं है, तो उन्होंने कहा नहीं नितिन मैं खुद ही चला रहा हूं. फिर मैंने उन्हें रास्ता बताया. मुझे बड़ा ही हैरानी हुई कि इतना बड़ा आदमी होने के बावजूद उनके पास ड्राइवर नहीं था और ना ही कोई सिक्योरिटी गार्ड. यह वाकया तब का है जब रतन टाटा मुंबई के मालाबार हिल स्थित नितिन गडकरी के घर जा रहे थे. 

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नितिन गडकरी ने आगे बोलते हुए कि इतना पैसा होने के बावजूद भी रतन टाटा सादगी, विनम्रता से रहते थे. वहीं आज के समय 10-20 करोड़ रुपये आते ही लोग गाने लगते हैं. उन्‍होंने एक गाने को सुनाते हुए कहा, 'साला मैं तो साहब बन गया, साहब बनकर कैसे तन गया...' 

ये किस्‍सा भी मजेदार 
नितिन गडकरी ने रतन टाटा के बारे में एक और किस्‍सा सुनाया था. उन्‍होंने बताया कि एक बार मैं और रतन जी नागपुर जा रहे थे. उनके पास एक छोटा बैग था. इस पर मैंने एक स्टाफ को कहा कि वे रतन जी से उनका बैग ले लें. इस पर रतन टाटा ने कहा कि बैग मेरा है, तो इसे उठाऊंगा भी मैं ही. इसके बाद जब वे एक गाड़ी में बैठे तो वे खुद ड्राइवर के पास बैठ गए. मैंने उन्हें ये भी कहा कि मैं वहां बैठ जाता हूं, लेकिन वे नहीं माने. नितिन गडकरी ने कहा कि लोगों को उनके जीवन से सीखना चाहिए. 

9 अक्‍टूबर को हुआ था निधन 
रतना टाटा ने 86 साल की उम्र में बुधवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्‍पताल में उन्‍होंने अंतिम सांस ली. उसके अलगे ही दिन उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. रतन टाटा को आखिरी विदाई देने के लिए जनसैलाब उमड़ा रहा. रतन टाटा के निधन के बाद लोग उन्‍हें, उनसे जुड़ी कहानियों और बातों को याद कर रहे हैं. 

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