दिल्ली की एक अदालत ने अरबपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को बड़ी राहत देते हुए ऐसे पत्रकारों समेत अन्य लोगों-एनजीओ को सख्त निर्देश दिए हैं, जिन्होंने कंपनी के खिलाफ बिना पुख्ता सबूत के असत्यापित और अपमानजनक कंटेंट या डिटेल पोस्ट की है. अदालत ने इस तरह की पोस्ट पर रोक लगाई है और अंतरिम आदेश में विदेश से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों भी इस संबंध में निर्देश देते हुए सोशल मीडिया पर अडानी एंटरप्राइजेज से जुड़े पोस्ट, आर्टिकल्स को हटाने के लिए भी कहा है.
एईएल का आरोप- ग्रुप की छवि खराब करने की कोशिश
कोर्ट में सीनियर सिविल जज वादी अनुज कुमार सिंह, अडानी एंटरप्राइजेज लिमिडेट द्वारा दायर एक मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे. जिसमें कंपनी द्वारा आरोप लगाया गया था कि paranjoy.in, adaniwatch.org और adanifiles.com.au पर प्रकाशित पोस्ट और वीडियो बिजनेस ग्रुप के सम्मान और छवि को नुकसान पहुंचाने और उसके वैश्विक कारोबार के संचालन में बाधा पैदा करने के लिए डिजाइन किए गए थे.
इस मामले में जहां वादी गौतम अडानी की कंपनी एईएल है, तो वहीं प्रतिवादी परंजॉय गुहा ठाकुरता, रवि नायर, अबीर दासगुप्ता, अयास्कंत दास, आयुष जोशी, बॉब ब्राउन फाउंडेशन, ड्रीमस्केप नेटवर्क इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, गेटअप लिमिटेड, डोमेन डायरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड और जॉन डो शामिल हैं.
अडानी के पक्ष में कोर्ट का निर्देश
मामले की सुनवाई के दौरान शनिवार को अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला वादी के पक्ष में है, क्योंकि इस तरह के बिना सबूत वाले कटेंट की लगातार फॉरवर्डिंग/पब्लिशिंग/री-ट्वीट और ट्रोलिंग से जनता में कंपनी की छवि और धूमिल होगी. कोर्ट ने साफ तौर पर प्रतिवादियों को निर्देशित करते हुए अगली सुनवाई तक एईएल के बारे में असत्यापित, निराधार और प्रत्यक्ष रूप से मानहानिकारक रिपोर्ट या कटेंट के प्रकाशन या प्रसारण से रोक दिया.
इसके साथ ही कोर्ट ने आगे कहा कि, 'ये लेख और पोस्ट गलत, असत्यापित और प्रथम दृष्टया मानहानिकारक नजर आ रहे हैं, ऐसे में प्रतिवादी अपने-अपने लेखों/सोशल मीडिया पोस्ट/ट्वीट्स से ऐसी सामग्री हटा दें. ऐसा संभव न होने पर इस आदेश के पांच दिनों के भीतर उन्हें डिलीट करें.'
9 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
दिल्ली की अदालत ने प्रतिवादियों पर सख्त रूख अपनाते हुए निर्देशित किया है कि अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के बारे में आगे से किसी भी तरह की कोई असत्यापित या निराधार खबर प्रकाशित न हो और न ही इस तरह का कोई स्टेटमेंट दिया जाए. प्रतिवादियों द्वारा ऐसा करने में विफल रहने पर अदालत ने गूगल, यूट्यूब, एक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स को 36 घंटों के भीतर एईएल के खिलाफ कथित मानहानिकारक सामग्री को हटाने या उस तक पहुंच को खत्म करने का निर्देश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई अब 9 अक्टूबर को होगी.
आजतक बिजनेस डेस्क