RJD MLA भाई वीरेंद्र ने अब विकलांगता का उड़ाया मजाक, बोले- सचिव की आंखें इधर-उधर...'

FIR दर्ज कराए जाने के बाद विधायक ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी प्रकार का जातिसूचक शब्द नहीं कहा और यदि कोई आपत्तिजनक शब्द निकला भी हो, तो वह सिर्फ 'स्लिप ऑफ टंग' था, उनका उद्देश्य किसी को गाली देना नहीं था.

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MLA भाई वीरेंद्र और पंचायत सचिव- (Photo ITG) MLA भाई वीरेंद्र और पंचायत सचिव- (Photo ITG)

सुजीत कुमार

  • पटना,
  • 29 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:14 PM IST

पटना के मनेर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक भाई वीरेंद्र विवादों में हैं. बलुआ पंचायत के एक सचिव द्वारा FIR दर्ज कराए जाने के बाद विधायक ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी प्रकार का जातिसूचक शब्द नहीं कहा और यदि कोई आपत्तिजनक शब्द निकला भी हो, तो वह सिर्फ 'स्लिप ऑफ टंग' था, उनका उद्देश्य किसी को गाली देना नहीं था.

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MLA ने पंचायत सचिव की मानसिक स्थिति पर उठाए सवाल
हालांकि, विवाद थमता नहीं दिख रहा है. FIR के बाद मीडिया से बात करते हुए विधायक भाई वीरेंद्र ने कैमरे पर ही पंचायत सचिव की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, 'पता नहीं सचिव की आंखें इधर-उधर क्यों घूम रही थीं, वो दिमागी तौर पर ठीक नहीं लग रहे थे.'

इसके साथ ही उन्होंने सचिव की विकलांगता को लेकर भी तंज कसा, जिससे मामला और ज्यादा तूल पकड़ गया है. भाई बीरेंद्र ने आगे कहा, 'मैं किसी से डरता नहीं हूं. FIR हो गई है तो हो गई है, मुझे कोई डर नहीं है.'

FIR में लगाए गए आरोपों की पुलिस कर रही जांच
राजनीतिक हलकों में इस बयान को लेकर काफी चर्चा है. जहां एक ओर जातिसूचक टिप्पणी और विकलांगता का मजाक उड़ाने को लेकर उनकी आलोचना हो रही है, वहीं समर्थक इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं.

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FIR में लगाए गए आरोपों की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है. अगर आरोप साबित होते हैं, तो विधायक को कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है. इस पूरे घटनाक्रम से मनेर की राजनीति में हलचल मच गई है.

बता दें कि सचिव संदीप कुमार ने पटना के SC-ST थाना में विधायक के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई है. अपनी शिकायत में सचिव ने आरोप लगाया है कि विधायक ने उन्हें फोन पर अशोभनीय भाषा में गालियां दीं, उन्हें धमकाया और सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप करते हुए डराने-धमकाने की कोशिश की.

इस घटनाक्रम को लेकर राजद विधायक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, खासकर तब जब मामला अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC-ST Act) के तहत दर्ज किया गया है.

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