रेलवे से मिले सोने-चांदी के गिफ्ट को सांसद ने लौटाया, सुनाई खरी-खरी

भाकपा माले सांसद सुदामा प्रसाद को रेलवे की तरफ से एक विभागीय कार्यक्रम में 1 ग्राम सोने का सिक्का और 100 ग्राम चांदी का ब्लॉक दिया गया था. जिसको सांसद ने वापस कर दिया है. साथ ही इसको लेकर सासंद ने रेलवे को फटकार भी लगाई है.

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भाकपा माले सांसद सुदामा प्रसाद ने लगाई रेलवे को फटकार भाकपा माले सांसद सुदामा प्रसाद ने लगाई रेलवे को फटकार

सोनू कुमार सिंह

  • आरा,
  • 21 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST

भारतीय रेलवे द्वारा एक विभागीय कार्यक्रम के दौरान दिए गए सोने-चांदी के महंगे उपहार को आरा के भाकपा माले सांसद सुदामा प्रसाद ने ठुकरा दिया है. साथ ही उन्होंने रेलवे को पत्र लिखकर जमकर फटकार भी लगाई है. ऐसे में ये खबर अब चर्चा का विषय बन गई है.

रेल विभाग के इस रवैए के खिलाफ आरा सांसद काफी भड़के हुए हैं. इस उपहार में रेलवे के संगठनों के द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों को 1 ग्राम सोने का सिक्का और 100 ग्राम चांदी का ब्लॉक दिया गया था. जिसे उन्होंने वापस करते हुए रेलवे विभाग को पत्र लिख इस तरह की पंरपरा को रोक लगाने की बात कही है. 

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सांसद सुदामा प्रसाद ने पत्र में कहा है कि अतिथियों को उपहार देकर स्वागत करना एक परम्परा है. यह परम्परा गर्मजोशी और मेहमाननवाजी का प्रतीक भी है. जिसके लिए आमतौर पर शॉल, पेंटिंग और कुछ स्मृति चिन्ह उपहार में दिए जाते हैं. लेकिन 1 ग्राम सोने का सिक्का और 100 ग्राम चांदी का ब्लॉक दिया जाना मुझे बहुत दुख पहुंचाया.

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सांसद ने भारतीय रेलवे की ओर से ऐसे उपहार देने की नैतिकता और सार्वजनिक मोरलिटी पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि जब यात्री रेलवे सुरक्षा, किराया वृद्धि, सुविधाओं की कमी और भारतीय रेलवे द्वारा अपमानजनक व्यवहार जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो स्थायी समिति के सदस्यों को ऐसे उपहार देना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह सार्वजनिक हित से जुड़े मुद्दों पर सांसदों को चुप कराने की साजिश है.

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उन्होंने आगे कहा कि रेलवे स्टेशनों पर स्वच्छता के लिए कार्यरत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता है. साथ ही उन्हें ठेके पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और ठेकेदारों द्वारा परेशान भी किया जाता है.  इसी तरह, आम लोगों को सामान्य और स्लीपर डिब्बों में गरिमा के साथ यात्रा करने की अनुमति नहीं है.

गरीब और मध्यम वर्ग के लिए नए ट्रेनें शुरू नहीं की जाती हैं, बल्कि वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. ऐसे में मैं संसद सदस्य के रूप में इस तरह के उपहार पर नाराजगी और दुख व्यक्त करता हूं और इसे वापस करता हूं. 
 

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