बिहार सरकार ने आखिर क्यों किया धार्मिक न्यास पर्षद को भंग.. जानें क्या है वजह ?

बिहार सरकार ने एक आदेश जारी कर के राज्य धार्मिक न्यास पर्षद को भंग कर दिया है. भंग करने के बाद इसकी देखरेख की जिम्मेदारी सरकार ने एक प्रशासनिक अधिकारी को दी है. आदेश के अनुसार धार्मिक न्यास पर्षद अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक तरीके से नहीं कर रहा था.

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 बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फोटो-PTI) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फोटो-PTI)

शशि भूषण कुमार

  • पटना,
  • 02 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:54 PM IST

बिहार सरकार ने राज्य धार्मिक न्यास पर्षद को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है, जिसके लिए राज्य सरकार के विधि विभाग ने आदेश जारी किया है. धार्मिक न्यास पर्षद को भंग करने के बाद, पर्षद के कामकाज के लिए सरकार ने प्रशासक को बहाल किया है. 

बिहार के धार्मिक न्यास पर्षद का कामकाज ठीक नहीं होने की वजह से राज्य सरकार ने उसे भंग कर दिया. विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि पर्षद में कार्य का संपादन ठीक से नहीं हो रहा था, जिस वजह से इसे भंग कर दिया गया. इसके बाद सरकार ने विधि विभाग के सचिव सह विधि परामर्शी अंजनी कुमार सिंह को प्रशासक नियुक्त किया है.

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जनवरी 2021 में किया गया था बोर्ड का गठन

बता दें कि धार्मिक न्यास पर्षद में कार्यरत हालिया बोर्ड का गठन जनवरी 2021 में किया गया था. उस समय अखिलेश कुमार जैन को पर्षद का अध्यक्ष बनाया गया था और इस बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा 11 सदस्य शामिल थे. दरअसल पर्षद पर राज्य के मंदिरों के बेहतर तरीके से संचालन की जिम्मेवारी होती है.

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न्यास पर्षद अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक से नहीं कर रहा था

राज्य के मंदिरों का ठीक तरह से संचालन जिम्मा धार्मिक न्यास पर्षद को दिया गया था, जिससे मंदिरों की देखरेख सही तरीके से की जा सके. विभाग ने जो आदेश जारी किया है, उसमें कहा गया है कि धार्मिक न्यास पर्षद अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक तरीके से नहीं कर रहा था, जिस वजह से इसे भंग कर दिया गया.

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