बिहार के चर्चित बाहुबली नेता और पूर्व विधायक के सुनील पांडे आज बीजेपी में शामिल हो गए. सुनील पांडे ने अपने बेटे विशाल प्रशांत के साथ भाजपा की सदस्यता ली है. बीजेपी में शामिल होने से पहले सुनील पांडे पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी में थे. उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद अब पशुपति पारस के साथ बड़े नामों में केवल सूरजभान सिंह बचे हैं.
चार बार के विधायक रह चुके सुनील पांडे को बीजेपी में शामिल करने की तैयारी आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर काफी पहले शुरू हो गई थी. रविवार को आखिरकार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने प्रदेश कार्यालय में सुनील पांडे और उनके बेटे विशाल प्रशांत को बीजेपी की सदस्यता दिला दी. माना जा रहा है कि तरारी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत को उम्मीदवार बनाएगी.
बेटे को टिकट देगी बीजेपी?
इस सीट पर भाकपा माले का कब्जा रहा है और बीजेपी हर हाल में इसे अपने पाले में करना चाहती है और सुनील पांडे इसी सीट से विधायक रह चुके हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने सुनील पांडे और उनके बेटे विशाल प्रशांत का पार्टी में स्वागत किया और तरारी विधानसभा उपचुनाव को लेकर इशारों में इशारों में संकेत भी दे दिया.
वहीं पूर्व विधायक सुनील पांडे ने बीजेपी का दामन थमते ही जय श्री राम का नारा लगा दिया. सुनील पांडे ने कहा कि वह लंबे अरसे से एनडीए के कार्यकर्ता के तौर पर काम करते रहे हैं लेकिन अब अपनी पार्टी बीजेपी में शामिल हो गए हैं उनका मकसद आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाकर सरकार बनवाना है.
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विरोध में लगे पोस्टर
बीजेपी प्रदेश कार्यालय में सुनील पांडे की सदस्यता ग्रहण का कार्यक्रम सुबह सवेरे 8 बजे ही रखा गया था लेकिन उनके बीजेपी में शामिल होने के पहले प्रदेश कार्यालय के बाहर सुनील पांडे के अपराध के इतिहास वाले हैंड बिल चिपकाए गए थे. माना जा रहा है कि बीजेपी में ही एक तबका ऐसा भी है जो सुनील पांडे के शामिल होने का विरोध कर रहा है. प्रदेश कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर बैनर के ऊपर चिपकाए गए हैंड बिल में सुनील पांडे के आपराधिक इतिहास को लिखा गया था, जैसे ही पार्टी के नेताओं की नजर इस पर पड़ी तत्काल इन हैंड बिल को हटाया गया.
दबंग नेता की छवि के हैं सुनील पांडे
सुनील पांडे की छवि बाहुबली की रही है और 34 साल की उम्र में वह साल 2000 के विधानसभा चुनाव में पहली बार जीत हासिल कर विधायक बने थे. साल 2000 में समता पार्टी के टिकट पर पहली बार पीरो से चुनाव जीता. उसके बाद फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में हुए उपचुनाव में भी उन्होंने इसी सीट पर जीत दर्ज की. साल 2010 में सुनील पांडे जेडीयू के टिकट पर तरारी से चुनाव जीते थे. 2015 में उनके खिलाफ आपराधिक मामलों को देखते हुए जदयू ने उनसे किनारा कर लिया तब नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे.
2015 में सुनील पांडे की पत्नी गीता पांडेय एलजेपी के टिकट पर तरारी से चुनाव मैदान में उतरीं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2020 के विधानसभा चुनाव में सुनील पांडे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और दूसरे नंबर पर रहे. बीजेपी के कौशल विद्यार्थी इस चुनाव में तीसरे नंबर पर चले गए थे और जीत सुदामा प्रसाद की हुई थी. अब सुदामा प्रसाद आरा लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के बाद संसद जा चुके हैं और तरारी सीट पर विधानसभा उपचुनाव होना है.
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बाहुबलियों के अच्छे दिन
गौर करने वाली बात ये है कि बिहार में इन दिनों बाहुबलियों के अच्छे दिन चल रहे हैं. पिछले दिनों पूर्व विधायक अनंत सिंह को हाईकोर्ट ने बरी किया और अब सुनील पांडे की बीजेपी में एंट्री हो गई है. बिहार में एनडीए और खासतौर पर बीजेपी जिस रणनीति के साथ आगे बढ़ती दिख रही है वह यह बता रहा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव की बिसात एक बार फिर बाहुबलियों से सजी हुई होगी.
फिलहाल सबको इंतजार तरारी विधानसभा उपचुनाव की घोषणा और वहां सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत को उम्मीदवार बनाए जाने का है. हालांकि सुनील पांडे के लिए यह मुकाबला दोहरी लड़ाई की तरह होगा. एक तरफ उन्हें चुनाव में विरोधियों से लोहा लेना होगा तो वहीं बीजेपी में जो तबका उनकी एंट्री का विरोध कर रहा है उसके भितरघात की आशंका भी एक चुनौती होगी.
शशि भूषण कुमार