83 प्रतिष्ठानों के लाइसेंस रद्द, 31 पर FIR... बिहार में उर्वरक की कालाबाजारी पर एक्शन

बिहार में रबी के सीजन में उर्वरकों की कालाबाजारी को लेकर सरकार अब एक्शन मोड में है. 83 उर्वरक प्रतिष्ठानों के लाइसेंस रद्द करने के साथ ही 31 के खिलाफ एफआईआर हुई है. अनियमितता रोकने के लिए फ्लाइंग स्क्वॉड भी गठित किया गया है.

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उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता का दावा उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता का दावा

रोहित कुमार सिंह

  • पटना,
  • 26 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:59 AM IST

बिहार सरकार ने अब किसानों पर ध्यान केंद्रित कर दिया है. सरकार अब रबी फसलों के लिए उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक्टिव मोड में आ गई है. कृषि विभाग ने रबी की फसल के लिए उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता का दावा करते हुए कालाबाजारी करने वालों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है. कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने दावा किया है कि 24 दिसंबर की स्थिति के अनुसार राज्य में रबी फसलों की जरूरत को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है.

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कृषि विभाग के मुताबिक इस समय बिहार के उर्वरक भंडार में 2 लाख 37 हजार मीट्रिक टन यूरिया, 1 लाख 23 हजार मीट्रिक टन डीएपी, 2 लाख 10 हजार मीट्रिक टन एनपीके, 40 हजार मीट्रिक टन एमओपी और 1 लाख 11 हजार मीट्रिक टन एसएसपी का स्टॉक है. कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने दावा किया है कि किसानों को समय पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि उर्वरकों की कालाबाजारी, तस्करी और अधिक मूल्य पर बिक्री रोकने के लिए भी कृषि विभाग सख्त निगरानी कर रहा है.

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कृषि विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि रबी के सीजन में 24 दिसंबर तक अनियमितता के मामलों में 31 उर्वरक प्रतिष्ठानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और 83 प्रतिष्ठानों के उर्वरक प्राधिकार पत्र रद्द किए गए हैं. शिकायतों के आधार पर कार्रवाई के लिए मुख्यालय स्तर पर उड़नदस्ता दल का गठन किया गया है, जो लगातार छापेमारी कर रहा है. पूरे प्रदेश में उर्वरक प्रतिष्ठानों में दर्शाए गए स्टॉक और भौतिक रूप से उपलब्ध उर्वरक की मात्रा का विशेष सत्यापन किया जा रहा है, जिससे किसी भी तरह की गड़बड़ी को तुरंत चिह्नित किया जा सके.

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जिला स्तर पर कृषि पदाधिकारी जीरो ऑफिस डे के तहत उर्वरक प्रतिष्ठानों की जांच के साथ किसानों से भी संवाद कर रहे हैं. कृषि विभाग ने निर्देश दिए हैं कि जहां जिला और प्रखंड स्तरीय उर्वरक निगरानी समितियों की बैठकें अब तक नहीं हुई हैं, वहां इन्हें जल्द कराया जाए. प्रखंड स्तर पर उर्वरक का आवंटन वास्तविक जरूरत और उपलब्धता के आधार पर किया जाए. स्टॉक में किसी भी तरह की अनियमितता पाए जाने पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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