बिहार के सीतामढ़ी से बीजेपी विधायक मिथिलेश कुमार ने भक्ति का एक अनोखा प्रदर्शन करते हुए हलचल मचा दी है. दशहरा उत्सव के दौरान रामायण की प्रतियां और तलवारें बांटने वाले मिथिलेश कुमार के कार्यों ने सार्वजनिक बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें राजनीतिक नेता और दल इस इशारे के प्रतीकवाद और निहितार्थ पर विचार-विमर्श कर रहे हैं. दरअसल, बीजेपी विधायक शहर में घूम घूमकर पूजा पंडालों में रामायण और तलवार बांट रहे रहे हैं. मिथलेश कुमार एक हाथ में तलवार और एक हाथ में तलवार लिए नज़र आए.
इसको लेकर बिहार में राजनीतिक भूचाल आ गया है. राजनीतिक हलकों में इसकी अलग-अलग व्याख्या की जा रही है. कुछ लोगों का तर्क है कि यह स्थानीय मांगों के चलते किया गया एक हानिरहित कृत्य था, जबकि अन्य इसे आक्रामक राजनीति का खतरनाक प्रतीक मानते हैं.
इस असामान्य कार्य के बारे में सवालों के जवाब में विधायक ने अपने कृत्य का बचाव करते हुए कहा कि धर्म की रक्षा के लिए हथियार (शास्त्र) और शास्त्र (शास्त्र) दोनों आवश्यक हैं.
वहीं बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इस घटना को कमतर आंकने की कोशिश की और सुझाव दिया कि तलवारों का वितरण स्थानीय मांगों के जवाब में हो सकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कृत्य एक व्यापक परंपरा को नहीं दर्शाता है और कहा कि स्थानीय संगठनों ने विधायक के कार्यों को प्रेरित किया हो सकता है.
चौधरी ने कहा कि यह कोई परंपरा नहीं है, लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई मांग रही होगी जिसे विधायक ने पूरा करने का प्रयास किया होगा. उन्होंने क्षेत्र में नक्सलवाद को संबोधित करते हुए व्यापक शासन संबंधी मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया और इस बात की पुष्टि की कि राजनेताओं द्वारा किए गए ऐसे कृत्यों को संस्थागत मानदंडों के रूप में गलत तरीके से नहीं समझा जाना चाहिए.
वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने दशहरा के दौरान शस्त्र पूजन की परंपरा की ओर इशारा किया, जहां तलवारों की पूजा की जाती है. हालांकि, उन्होंने बांटी जा रही तलवारों की प्रकृति के बारे में चिंता जताई. रंजन ने कहा, "इस बात की जांच होनी चाहिए कि क्या तलवारों में धार थी या नहीं." उन्होंने सुझाव दिया कि अगर तलवारें तेज थीं, तो उनके उद्देश्य और इस तरह के वितरण से दिए गए संदेश की गहन जांच की आवश्यकता होगी.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने तलवार बांटने की घटना की निंदा की. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में इसकी वैचारिक जड़ों की आलोचना की. तिवारी ने आरोप लगाया कि यह बीजेपी के मूल्यों के अनुरूप है, उन्होंने दावा किया, "यही वह है जिसके बारे में हमने चेतावनी दी थी. वे तलवारें बांटने वाले लोग हैं. यही वे लोग हैं जो आरएसएस की नर्सरी में पढ़ाते हैं."
उन्होंने इस कृत्य की तुलना राजद नेता तेजस्वी यादव के मूल्यों से की. उन्होंने कहा कि यादव ने कलम बांटी जबकि बीजेपी विधायकों ने तलवारें बांटी, जो दोनों दलों के बीच वैचारिक मतभेदों को रेखांकित करता है. तिवारी ने बिहार में मौजूदा बाढ़ के लिए राज्य सरकार की प्रतिक्रिया की आलोचना करने का अवसर भी भुनाया.
उन्होंने बताया कि तेजस्वी यादव, दुबई में देश से बाहर होने के बावजूद, एक वायरल सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सरकार की सहायता की कमी की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे थे. तिवारी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को सहायता प्रदान करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की, उन पर संकट के दौरान नेतृत्व के लिए विपक्ष पर निर्भर रहने का आरोप लगाया, जबकि "डबल इंजन सरकार" के अपने वादे को पूरा करने में विफल रहे.
आदित्य वैभव