जिंदगी में कुछ बातें बिल्कुल तयशुदा होती हैं. जैसे सूरज का पूरब से निकलना, पल-पल का बीतते जाना और मौसमों का बदलना... जैसे दिसंबर का ये सर्द मौसम जहां आप बिना किसी योजना के चलते-फिरते क्रिसमस के जश्न में शामिल हो ही जाते हैं और क्रिसमस पर आप चाहे जहां हों, इस पश्चिमी त्योहार से जुड़ा सिर्फ एक एंथम आपके जेहन में अपनी जगह बनाए मिलेगा, जिसे आप एक-दो लाइन गुनगुना भी लेते होंगे, वो है जिंगल बेल्स...
बर्फ पर फिसलने वाली एक बग्घी, जिस पर लाल ऊनी फर वाली ड्रेस पहने एक हंसमुख बुजुर्ग बड़ी सी पोटली लिए बैठा है. उसकी दाढ़ी बर्फ से भी सफेद है और पहाड़ी हिरन उसकी इस बग्घी को खींचते हुए ले चलते हैं. आंखों के आगे ये सीन क्रिएट होते ही कानों में बजती है हल्की-हल्की रुनझुन घंटियां और सुनाई दे जाती है 'जिंगल बेल्स' की धुन...
यही वह पहला क्रिसमस गीत होता है, जिसे हम स्कूल में गाना सीखते हैं. चलते-फिरते बाजार-चौराहों और मॉल्स में सुनते हैं. दुनिया भर में कैरल गाने वाले लोग इसे गुनगुनाते हैं. क्रिसमस ईव पर कुछ मसखकी करके मनोरंजन करने वाले जोकर का भी यह पसंदीदा क्रिसमस गीत है, क्योंकि यह हर बार बजने लगता है. आप इस गाने को 'हैप्पी बर्थडे' जितना ही अच्छी तरह जानते हैं, शायद उससे भी कहीं अधिक...
किसने लिखा था 'जिंगल बेल्स'
लेकिन ठहरिए... आपको जानकर हैरानी होगी कि ये गीत न तो क्रिसमस का है, न क्रिसमस के लिए लिखा गया था और न ही इसमें कहीं क्रिसमस शब्द ही आता है. फिर भी बीते लगभग 175 वर्षों से ये गीत क्रिसमस की सबसे बड़ी पहचान बना हुआ है. इतिहास खंगालें तो सामने आता है कि इस गीत की पहली प्रस्तुति 1850 में मैसाचुसेट्स के मेडफोर्ड शहर में हुई थी. इसे जेम्स लॉर्ड पियरपॉन्ट ने लिखा था. पियरपॉन्ट जाने-माने संगीतकार थे और इसी शहर के निवासी थे.
वे थैंक्सगिविंग के आसपास होने वाली शहर की वार्षिक स्लेज रेस को यादगार बनाने के लिए कुछ लिखना चाहते थे. हालांकि इस दावे पर कभी-कभी सवाल भी उठते रहते हैं, क्योंकि रिकॉर्ड के मुताबिक उस समय तक पियरपॉन्ट जॉर्जिया जा चुके थे. फिर भी मेडफ़ोर्ड के टाउन स्क्वायर में लगी एक स्मारिका आज भी पियरपॉन्ट की इस गीत-रचना के लिए सम्मान देती है.
1850 में इसे पहली बार जॉर्जिया के सवाना शहर के एक चर्च में रविवार की प्रार्थना के दौरान प्रस्तुत किया गया. उसी चर्च में पियरपॉन्ट के भाई, रेव. जॉन पियरपॉन्ट जूनियर, पादरी थे, लेकिन पहली प्रस्तुति ऐसी रही कि जैसे कोई यादगार बात न रही हो. उस समय इसके कोरस की धुन को बहुत कठिन समझा गया और गीत लोगों को खास पसंद नहीं आया. समय के साथ इसकी धुन और बोलों को सरल किया गया.
थैंक्सगिविंग गीत था 'जिंगल बेल्स'
अगस्त 1857 में जेम्स लॉर्ड पियरपॉन्ट ने इसके संशोधित रूप को पेटेंट कराया. दो साल बाद, 1859 में, इसका नाम बदलकर 'Jingle Bells' कर दिया गया. थैंक्सगिविंग और क्रिसमस के बीच महज एक महीने का अंतर होता है, और इसी छोटे से अंतराल में यह गीत लोगों की याद में बैठता चला गया. इस तरह धीरे-धीरे यह क्रिसमस का स्थायी प्रतीक बन गया.
इस गीत को 1857 में “वन हॉर्स ओपन स्लेज” (One Horse Open Sleigh) शीर्षक से प्रकाशित किया गया था. इसमें उस एक अंतरे के अलावा, जिसे हम आज आम तौर पर गाते हैं, तीन और अंतरे थे. गीत में एक युवा जोड़े की कहानी है, जो स्लेज पर सैर के लिए निकलता है और बर्फ़ के ढेर में उनकी स्लेज पलट जाती है. जैसे-जैसे इसकी लोकप्रियता बढ़ी, यह गीत अपने उल्लास से भरे मुखड़े के नाम पर ही मशहूर हो गया और इसे नाम मिला 'जिंगल बेल्स.'
'जिंगल बेल्स' की पहली रिकॉर्डिंग 1889 में एडिसन सिलिंडर पर की गई थी. वह रिकॉर्डिंग अब मौजूद नहीं है, लेकिन इसके 10 साल बाद 1898 की दूसरी रिकॉर्डिंग आज भी ऑनलाइन मिल जाती है. जिसे आप यूट्यूब पर सुन सकते हैं. इसके बाद बिंग क्रॉस्बी और एंड्रयूज़ सिस्टर्स, एला फ़िट्ज़गेराल्ड, बेनी गुडमैन जैसे कलाकारों से लेकर हाल के वर्षों में ग्वेन स्टेफानी और लॉरेन डाइगल तक, कई मशहूर गायकों ने इस सर्वप्रिय धुन को अपनी-अपनी शैली में प्रस्तुत किया है.
इतिहास का पहला ‘स्पेस सॉन्ग’
1965 में “जिंगल बेल्स” ने एक और इतिहास रच दिया, जब यह अंतरिक्ष से प्रसारित होने वाला पहला गीत बना. जेमिनी-6 अंतरिक्ष यान में सवार अंतरिक्ष यात्रियों ने मिशन कंट्रोल के साथ शरारत करते हुए हारमोनिका और साथ लाए असली जिंगल बेल्स पर इस गीत को बजाया और गाया. 15 दिसंबर 1965 को, 'जेमिनी-6 मिशन' के दौरान, अंतरिक्ष यात्री 'थॉमस स्टैफर्ड' और 'वॉल्टर शिर्रा' ने नासा के मिशन कंट्रोल से संपर्क किया. उन्होंने यूएफओ देखने की बात कही.
धरती पर मौजूद मिशन कंट्रोल में कुछ पल के लिए अफरा-तफरी मच गई. तभी दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने हारमोनिका पर 'Jingle Bells' बजाना शुरू कर दिया, साथ में छोटी-छोटी स्ले बेल्स की आवाज भी थी. इस तरह 'Jingle Bells' इतिहास का पहला ‘स्पेस सॉन्ग’ बन गया. थैंक्सगिविंग के लिए लिखा गया एक साधारण सा गीत, जिसे अपनी पहली प्रस्तुति पर अनसुना किया गया, आज क्रिसमस की पहचान बन चुका है.
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