राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) ने नाटक और नाट्य परंपरा में नए रंग भरने और कला के इस प्राचीन माध्यम को जन-जन में जीवंत करने के लिए एक नई मुहिम शुरू की है. बीते दिनों एनएसडी में ग्रीष्मकालीन नाट्य समारोहों के समापन के साथ ही इस मुहिम की शुरुआत हुई. नाट्य विद्यालय की ओर से “रंग रथ” को हरी झंडी दिखाई गई है, जो भारतीय रंगमंच को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने की एक अनूठी पहल है.
'रंग रथ' का क्या है उद्देश्य?
इस परियोजना को संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. विवेक अग्रवाल ने इस मौके पर रंगमंच को जन-जन तक पहुंचाने की इस पहल की सराहना की और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए से सांस्कृतिक विस्तार की जरूरत पर जोर दिया. समारोह में एनएसडी के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी के लिखे नाटक और संगीतबद्ध निर्देशित नाटक “समुद्र मंथन” का मंचन हुआ, जिसने प्राचीन गाथा को नए कलेवर में सामने रखा और 'रंग रथ'अलग-अलग शहरों में जाकर जन सरोकार की भागीदारी निभाते हुए इसी नाटक का मंचन करेगा.
इस वर्ष के ग्रीष्मकालीन नाट्योत्सव में 12 नाट्य प्रस्तुतियां और कुल 35 मंचन हुए, जो रंगमंच प्रेमियों के लिए सृजनात्मकता और विविधता से भरे रहे. एनएसडी निदेशक ने कहा, “रंगमंच मानव जीवन के दुख-दर्द को कम करने और ज्ञान का संचार करने का सशक्त माध्यम है. हम आईओसीएल के सहयोग से रंग रथ के जरिए देश के सुदूर क्षेत्रों तक थिएटर का जादू पहुंचाना चाहते हैं.”आईओसीएल की कार्यकारी निदेशक (कॉर्पोरेट योजना एवं आर्थिक अध्ययन) पद्मा धूलिपाला ने कहा, “इंडियन ऑयल का नेटवर्क पूरे भारत में फैला है. हम चाहते हैं कि एनएसडी अपनी रिपर्टरी (नाट्य मंडली) के माध्यम से आम लोगों तक भारत की सांस्कृतिक विरासत पहुंचाए.
इस नाटक का होगा मंचन
रंग रथ परियोजना से जुड़ना हमारे लिए गौरव की बात है.” इस अवसर पर प्रो. भारत गुप्त, पी.के. मोहंती, वाणी त्रिपाठी, आदि मौजूद रहे. रंग रथ की पहली यात्रा 21 जुलाई 2025 को भोपाल के रवींद्र भवन ऑडिटोरियम से शुरू होगी, जहां “समुद्र मंथन” का मंचन होगा. एनएसडी रिपर्टरी इस समय अपनी “रंग षष्ठी” वर्षगांठ मना रही है, जो इसके 60 वर्षों की नाट्य यात्रा का प्रतीक है. अगस्त 2024 से शुरू इस उत्सव के तहत रिपर्टरी ने ग्वालियर, शिमला, पानीपत, ईटानगर, जयपुर, उदयपुर, पटियाला, चंडीगढ़, बेंगलुरु, मुंबई, नेपाल, और श्रीलंका की यात्राएं कीं हैं. यह नाट्योत्सव रंगमंच प्रेमियों और समीक्षकों के बीच खूब सराहा गया, और रंग रथ की यह पहल भारतीय रंगमंच को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का वादा है.
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