भारत में मशरूम की खेती बड़े पैमाने पर होने लगी है. इसकी बिक्री और प्रोसेसिंग से किसान बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. इसे आप एक बंद कमरे में भी उगा सकते हैं. इसकी खेती के लिए आपको ज्यादा मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती है. लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ ऐसे देसी मशरूम भी मौजूद हैं जो अपने आप उग आते हैं. मार्केट में ये अच्छी कीमतों पर भी बिकते हैं.
घने जंगलों में अपने आप उग आता है ये मशरूम
मध्य प्रदेश के जंगलों में पाए जाने वाला पिहरी मशरूम भी कुछ इसी तरह का है. घने जंगलों में यह अपने आप उग आता है. इस मशरूम में काफी ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है. इसे ग्रामीण और आदिवासी धरती का फूल भी कहते हैं. बड़े पैमाने पर यहां के आदिवासी इस मशरूम को इकट्ठा कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.
इसे खोजने के लिए करनी पड़ती है मशक्कत
मध्य प्रदेश के डिंडौरी, मंडला, बालाघाट, अनुपपुर, शहडोल और उमरिया के जंगलों में पिहरी मशरूम मिलती हैं. जंगलों में इसे खोजने के लिए यहां के लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इस दौरान जहरीले सांपों, कीड़े-मकोड़ों और जंगली जानवरों का सामना होता है. ऐसे में इस मशरूम को खोजना खतरे से कम नहीं है.
1000 रुपये किलो में बिकती है
इस मशरूम को सरई पिहरी, भाथ पिहरी, पूट्टू भमोडी, भोडो बांस पिहरी आदि नाम से इसे जानते हैं. मार्केट में इसकी कीमत 1000 रुपये किलो है. जिले के जंगलों में बरसात में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली पिहरी जंगलों से लाकर शौकीनों तक पहुंचाकर कुछ लोग अच्छी कमाई कर रहे हैं.
चिकित्सक भी इसे खाने की सलाह देते हैं
पिहरी मशरूम मांस से ज्यादा पौष्टिक माना जाता है. साथ ही स्वाद में भी ये बेहद लजीज है. मांस में मिलने वाली पौष्टिकता शाकाहारी लोगों को मिल सके, इसके लिए चिकित्सक भी लोगों को इस मशरूम का सेवन करने की सलाह देते हैं.
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