Cow Farming: गायों में इन घरेलू नुस्खे से बढ़ाएं दूध उत्पादन की क्षमता, बढ़ जाएगा कई गुना मुनाफा

Cow Farming Tips: कई किसान अपनी गायों को हार्मोन के इंजेक्शन देते हैं, जिससे वह अधिक दूध देने लगते हैं. ऐसा करना गायों की सेहत पर असर डालता है. इस दूध का सेवन दूसरों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है. हम यहां बताएंगे कि किन घरेलू उपाय से आप दूग्ध उत्पादन की क्षमता बढ़ा सकते हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST

Home remedies to increase milk production in Cow: देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन आमदनी का बढ़िया स्रोत साबित होता रहा है. इन सबमें गाय पालन किसानों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. हालांकि, कई बार किसान शिकायत करते हैं कि उनकी गाय का दूध उत्पादन बेहद कम हो गया है.

कई किसान अपनी गायों को हार्मोन के इंजेक्शन देते हैं, जिससे वह अधिक दूध देने लगते हैं. ऐसा करना ना केवल सिर्फ गायों की सेहत पर खराब असर डालता है. ऐसे दूध का सेवन दूसरों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है. ऐसे में हम यहां बताएंगे कि किन घरेलू उपाय से आप दूग्ध उत्पादन की क्षमता बढ़ा सकते हैं.

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सरसों के तेल और आटे का दें मिश्रण

सीतापुर कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर आनंद सिंह बताते हैं कि सरसों का तेल लगभग 200-300 ग्राम और गेहूं का आटा लगभग 250 ग्राम लेकर. उसे मिक्स कर गायों को शाम में खिलाएं. इस दौरान ध्यान रखें इसे खिलाने के बाद गाय को तुरंत पानी नहीं देना है. इस दवा को अपनी गाय को एक सप्ताह खिलाएं फिर बंद कर दें. निश्चित ही कुछ दिनों में आपको असर दिखने लगेगा. आपके गाय का दुग्ध उत्पादन बढ़ जाएगा.

गायों को हरा चारा जरूर दें

बता दें गाय के लिए हरा चारा और आहार हमेशा उपलब्ध होना चाहिए. दरअसल, डेयरी किसान जानवरों को गीला चारा खिलाते हैं, जो गायों के दूध वसा को प्रभावित करती है. ऐसे में दूध में वसा की मात्रा बेहतर हो इसके लिए गायों को हरा चारा, सूखा चारा और आहार मिश्रण जरूर देना चाहिए. इसके अलावा लोबिया का घार अपनी गायों को प्रतिदिन देना चाहिए.

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खिला सकते हैं कपास के बीज

डॉ. आनंद सिंह वसा बढ़ाने के लिए पशुओं को कपास के बीज भी खिलाए जा सकते हैं. 250 ग्राम से अधिक कपास के बीज की मात्रा पशुओं में मोटापे का कारण बन सकती है. इसलिए कपास की बीजों की मात्रा इससे कम रखें. वहीं चारे के आकार का पशुओं के दुग्ध उत्पादन पर असर डालता है. किसान चारे में भूसे का आकार एक इंच से कम ना रखें.

 

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