कम लागत में बढ़िया मुनाफे वाली फसलों की खेती के लिए किसानों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है. इन फसलों की खेती के लिए किसानों को बकायदे आर्थिक मदद भी दी जाती है. इसमें कई ऐसी फसले हैं जो 40 से 60 दिनों में ही अच्छा मुनाफा दे रही हैं. शलजम भी इन्हीं फसलों में से एक है.
शलजम की खेती के लिए इस तरह की मिट्टी आवश्यक
शलजम की खेती के लिए बलुई, दोमट अथवा रेतीली मिट्टी फायदेमंद है. इसकी जड़े जमीन के अंदर होती है, इसलिए उस खेत का नर्म होना बेहद जरूरी है. इसकी खएती के लिए 12 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान होना बेहद आवश्यक है. ये ठंड की फसल मानी जाती है.
कैसे करें शलजम की बुवाई
शलजम बीज की बुवाई करने से पहले एक बार खेतों की गहरी जुताई कर लें. इससे खेत में मौजूद पुराने फसलों के अवशेष खत्म हो जाएंगे. इसके बाद शलजम की बुवाई पंक्तिबद्ध तरीके से करें. इसे 20 से 25 सेमी की दूरी पर बनाए गए कूढों में बोया जाए.
इतने दिनों में तैयार हो जाती है शलजम
शलजम की फसल तकरीबन 40 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है. पूसा स्वेती और पूसा कंचन शलजम 45 से 50 दिनों में तैयार हो जाता है. वहीं शलजम की अन्य किस्मों को तैयार होने में 50 से 60 दिन लगते हैं. इसे उसके बादों हाथों के माध्यम से उखाड़ा जा सकता है. बाजार में शलजम 2200 रुपये प्रति क्विंटल बिकती हैं. ऐसे में इसकी खेती से किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
सेहत के लिए भी फायदेमंद
शलजम की फसल को सब्जी वाली फसल की श्रेणी में गिना जाता है. इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है. इसे खाने से बल्ड प्रेशर पर कंट्रोल रहता है.हृदय रोगों में लाभकारी, फेफड़े मजबूत बनते हैं. लीवर और किडनी के लिए भी शलजम का सेवन फायदेमंद होता है.
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