Sunflower Cultivation: रबी फसलों की कटाई बस कुछ दिनों में ही शुरू होने वाली है. इसके बाद कुछ महीने खेत खाली रहेंगे, फिर खरीफ की फसलों की खेती की शुरुआत हो जाएगी. रबी फसलों की कटाई और खरीफ फसलों की बुवाई के बीच किसान नगदी फसलों की खेती कर सकते हैं. इसी कड़ी में आप मार्च महीने में सूरजमुखी के पौधों की भी खेती कर सकते हैं. इस फसल की खेती पर भारत सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है.
सूरजमुखी को तिलहन फसलों की श्रेणी का माना जाता है.इसे साल में तीन बार लगाया जा सकता है. कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और बिहार में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. रेतीली दोमट मिट्टी और काली मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. जिस जमीन पर इसकी खेती की जा रही है, उसका पीएच मान 6.5 और 8.0 के बीच होना जरूरी है.
बीज उपचार
खेतों में सूरजमुखी के बीज लगाने से पहले उसका उपचार करना बेहद जरूरी है, नहीं तो कई बीज जनित बीमारियों से आपकी फसल खराब हो सकती है. सबसे पहले सूरजमुखी के बीजों को सादे पानी में 24 घंटे के लिए भिगो दें और फिर बुवाई से पहले छाया में सुखा लें. बीजों पर थीरम 2 ग्राम प्रति किग्रा और डाउनी फफूंदी से बचाव के लिए मेटालैक्सिल 6 ग्राम प्रति किलो जरूर छिड़कें. इसके बाद ही एक निश्चित दूरी की क्यारियों में इसकी बुवाई करें. बुवाई के बाद जब पौधा निकल आए तो 20 से 25 दिनों के अंतराल पर इसकी सिंचाई करते रहें.
फसल काटने का समय
सूरजमुखी की फसल तब काटी जाती है जब सभी पत्ते सूख जाते हैं और सूरजमुखी के सिर का पिछला भाग नींबू पीला हो जाता है. देर करने पर दीमक का हमला हो सकता है और फसल बर्बाद हो सकती है. सूरजमुखी के पौधे से तेल निकालने के अलावा दवाओं तक में इसका उपयोग होता है. किसान भाई इस फसल से कम लागत, कम वक्त में लाखों का मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
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