गेहूं से लेकर प्याज तक...इन फसलों के लिए मुसीबत लेकर आई फरवरी की ये गर्मी

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए फरवरी में तापमान सामान्य होना जरूरी है. अगर तापमान इसी तरह से बढ़ता रहा तो देरी से बोई गई फसल को 10 से 15 फ़ीसदी तक नुकसान हो सकता है. गेहूं की फसल को नुकसान कम हो इसलिए कृषि विभाग ने किसानों को खेतों में नमी बनाए रखने की सलाह दी है.

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मनजीत सहगल

  • चंडीगढ़,
  • 22 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST

फरवरी के महीने में ही मार्च जैसी गर्मी महसूस हो रही है. कई जगहों पर लोगों ने सीलिंग फैन और एयर कंडीशनर का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. बढ़ता हुआ तापमान किसानों के लिए मुसीबत लेकर आया है. पंजाब के मोहाली में कई जगहों पर सूखे का असर देखा जा सकता है. बारिश ना होने की वजह से फसलें सूखने लगी हैं. खेतों में दरारें पढ़ रही हैं.

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बढ़ते तापमान ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी

पंजाब और हरियाणा के  किसानों ने अबकी बार ज्यादा क्षेत्रफल पर गेहूं की फसल लगाई थी ताकि नुकसान की भरपाई हो सके. हालांकि, बढ़ते तापमान ने किसानों की उम्मीदों पर फिर से पानी फेर दिया है. अजीजपुर मोहाली के गेहूं उत्पादक दलजीत सिंह ने अबकी बार 5 एकड़ ज्यादा क्षेत्रफल में गेहूं की फसल उगाई है. वह कहते है कि "मैंने पिछले साल सिर्फ 15 एकड़ पर गेहूं की खेती की थी. कुदरती आपदा के कारण मेरी फसल खराब हो गई थी. इस बार 20 एकड़ में गेहूं की फसल लगाई है. बढ़ते तापमान के चलते चिंता हो रही है. गर्मी इसी प्रकार जारी रही तो गेहूं का दाना छोटा रह जाएगा.

66 साल के गुरबचन सिंह गेहूं के अलावा सर्दियों में उगाई जाने वाली दूसरी फसलों की भी खेती करते हैं.अचानक तापमान बढ़ने से सरसों और पालक जल्दी तैयार हो गए है. समय पर बारिश ना होने की वजह से प्याज का आकार छोटा रह गया. मटर की फलियों में दाने नहीं लगे. गोभी की फसल पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है. 

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कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए फरवरी में तापमान सामान्य होना जरूरी है. अगर तापमान इसी तरह से बढ़ता रहा तो देरी से बोई गई फसल को 10 से 15 फ़ीसदी तक नुकसान हो सकता है. बढ़ते तापमान की वजह से गेहूं की फसल को नुकसान कम हो इसलिए कृषि विभाग ने किसानों को खेतों में नमी बनाए रखने की सलाह दी है.

टर्मिनल हीट की वजह से प्रभावित होता है गेहूं का उत्पादन

हरियाणा कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ सुरेंद्र दहिया के मुताबिक सर्दियों के मौसम में अचानक तापमान बढ़ने को टर्मिनल हीट कहा जाता है. इससे गेहूं के दाने का आकार छोटा रह जाता है. कई सालों से टर्मिनल हीट की स्थिति देखी जा रही है इसलिए किसानों को पहले से ही सलाह दी गई थी कि वह फसल को समय पर बो लें।.

सुरेंद्र दहिया बताते हैं कि "हमने किसानों को गेहूं की कुछ ऐसी फसलें उगाने की सलाह भी दी है जो जो हिट रेसिस्टेंट है यानी यह किस्में तापमान को अपने स्तर पर ही नियंत्रित कर लेती हैं. सरसों की फसल लगभग पक कर तैयार है. उस पर अब तापमान का कुछ ज्यादा असर नहीं है.

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती रही तो फसल समय से पहले पक कर तैयार हो सकती है. वांछित नमी ना मिलने की वजह से गेहूं के दाने का आकार छोटा हो सकता है. इससे गेहूं का उत्पादन गिर सकता है.

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भारतीय खाद्य निगम ने कसी कमर

एफसीआई के महाप्रबंधक अमृत भूषण के मुताबिक सामान्य तौर पर गेहूं की फसल की खरीद अप्रैल से शुरू होती है, लेकिन अबकी बार गेहूं की फसल एक हफ्ता पहले यानी मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में मंडियों में आ सकती है. अमृत भूषण ने बताया कि खाद्य निगम में फसल को समय से पहले खरीदने की तैयारियां पूरी कर ली हैं. अकेले हरियाणा में ही लगभग 400 मंडियां चिन्हित कर ली गई हैं और गेहूं की फसल सहेजने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोदाम खाली करवाए गए हैं.

 

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