देशभर में किसान बड़ी संख्या में खेती-किसानी में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करने से परहेज करने लगे हैं. वे अब जैविक खेती की तरफ रूख करने लगे हैं. ऐसे में किसानों और पशुपालकों के लिए जैविक खाद के बिजनेस से मुनाफा कमाने का भी अवसर बढ़ा है. उत्तर प्रदेश के जिला महाराजगंज मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर नंदना गांव के निवासी नागेंद्र पांडेय वर्मी कंपोस्ट के बिजनेस से सालाना लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.
नौकरी नहीं मिली तो शुरू की खेती
किसान तक के मुताबिक नागेंद्र पांडेय ने कृषि विषय में स्नातक किया है. स्नातक के बाद उन्होंने नौकरी की तलाश करनी शुरू कर दी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.कई सालों नौकरी के लिए कोशिश करने के बाद अंत में उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करनी शुरू कर दी. उन्हें पता था कि सिर्फ सामान्य तरीके से खेती करके इतनी कम जमीन पर वे ज्यादा कमाई नहीं कर सकते हैं. ऐसे में उन्होंने फैसला लिया कि वे जमीन के कुछ हिस्से पर जैविक खाद तैयार करेंगे और बाकी बचे हिस्से पर जैविक तरीके से खेती करेंगे.
वर्मी कंपोस्ट बनाने लिया फैसला
साल 2000 में नागेंद्र ने फैसला लिया कि वे जमीन के कुछ हिस्से पर वर्मीकंपोस्ट तैयार करेंगे और बाकी बचे हिस्से पर जैविक तरीके से खेती करेंगे. इस तरह की वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए शुरू में उन्हें केंचुओं की ज़रूरत थी. इसके लिए उन्होंने कृषि और उद्यान विभाग से संपर्क किया, लेकिन उन्हें यहां से केंचुए नहीं मिल पाए. इसके बाद उनके एक दोस्त ने उन्हें लगभग 40-50 केंचुए दिए. नागेंद्र ने इन केंचुओं को चारा खिलाने वाली नाद में गोबर और पत्तियों के बीच डाल दिया और 45 दिनों में इनसे लगभग 02 किलो केंचुए तैयार हो गए. फिर इसी एक बेड से वर्मी कंपोस्ट से शुरुआत की.
वर्मी कंपोस्ट की बिक्री से कर रहे लाखों की कमाई
नागेंद्र पांडे ने एक बेड से वर्मीकंपोस्ट बनाने की शुरूआत की थी. आज वह करीब एक एकड़ में 500 बेड बना चुके हैं. आज वे एक साल में लगभग 12 से 15 हजार क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं. इससे वे लाखों का बिजनेस करते हैं. इसके साख ही नागेंद्र अन्य किसानों को भी वर्मी कंपोस्ट बनाने की भी ट्रेनिंग देते हैं.
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