पंजाब में पराली जलाने पर ताबड़तोड़ एक्शन, सीएम भगवंत मान के इलाके से सबसे ज्यादा केस

पंजाब में 15 सितंबर से 3 नवंबर तक पराली जलाने के 24146 मामले सामने चुके हैं. मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृहनगर संगरूर के हालात सबसे दयनीय नजर आ रहे हैं. जिले में अब तक 285 किसानों से पराली जलाने को लेकर 7 लाख 12 हजार रुपये का जुर्माना लगाया चुका है.

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Stubble Burning In Punjab Stubble Burning In Punjab

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर राजनीति तेज हो गई. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा पराली जलाने को प्रदूषण का लेवल बढ़ने की वजह माना जा रहा है. कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में 15 सितंबर से 3 नवंबर तक पराली जलाने के 24146 मामले सामने चुके हैं. राज्य में 3 नवंबर को 2666 केसेज, 2 नवंबर को 3634, 1 नवंबर को 1842 जगहों पर पराली जलाने के मामले सामने आए हैं.

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संगरूर में पराली के सबसे ज्यादा मामले

ऐसा नहीं है कि ये मामले दो-तीन दिन के अंदर बढ़े हैं. 31 अक्टूबर को  2131, 30 अक्टूबर, 29 अक्टूबर को 1761 , 28 अक्टूबर को 1898 मामले सामने आए थे. पराली जलाने के मामले में मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृहनगर संगरूर के हालात सबसे दयनीय नजर आ रहे हैं. जिले में अब तक 285 किसानों से पराली जलाने को लेकर 7 लाख 12 हजार रुपये का जुर्माना लगाया चुका है. इन किसानों की जमीन को रेड एंट्री में मार्क कर दिया गया है. प्रशासन के मुताबिक  संगरूर में 2721 जगहों पर सैटेलाइट के जरिए आग लगने की लोकेशन मिली थी. अधिकारियों ने 1051 से ज्यादा जगहों पर खुद जाकर इन घटनाओं की जांच की. तकरीबन 756 जगहों पर खेतों में आग लगने की सूचना सही पाई गई.

संगरूर के डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि बारिश होने के चलते धान की कटाई थोड़ी लेट हुई है. इस वक्त गेहूं की बुवाई का सीजन नजदीक है. खेतों को खाली करने के लिए किसान इसीलिए खेतों में आग लगा रहे हैं. अभी तक हमने 1480 मशीनें जिनमें हैप्पी सीडर सुपर सीडर, बेलर किसानों को उपलब्ध करवाए हैं.

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बठिंडा की भी हालात दयनीय

संगरूर के बाद बठिंडा मे भी स्थिति दयनीय नजर आ रही है. यहां पराली को आग लगाने के 50 मामलों को 3 नवंबर को रिपोर्ट किया गया.  बठिंडा में अब तक पराली को आग लगाने के क़रीब 1200 मामले आए हैं. पिछले साल 800 के करीब पराली जलाने के मामले सामने आए थे. साल 2021 में बठिंडा में क़रीब 55 % एरिया में पराली को आग लगाई गई थी. प्रशासन उम्मीद कर रहा है कि इस बार पराली जलाने के मामलों में 10% गिरावट आएगी. 

केंद्र सरकार ने क्या कहा?

उधर पराली जलाने के मामले पर राजनीति भी होने लगी है. केंद्र सरकार के मुताबिक पराली निस्तारण के लिए 2018 से अब तक 3138 करोड़ रुपए राज्यों को दिए जा चुके हैं. अनेक राज्य सरकारों ने अच्छा काम किया है. पंजाब को हमने सबसे ज्यादा 1400 करोड़ से अधिक दिया है. राज्य सरकारों ने 2 लाख मशीने खरीदी हैं. इन मशीनों के दम पर अगर राज्य सरकार तय कर ले तो पराली से निजात पाई जा सकती है. इसके अलावा किसान अगर पूसा डिकंपोजर का उपयोग करें तो भी इस स्थिति से निजात पाई जा सकती है.

(संगरूर से बलवंत सिंह विक्की, बठिंडा से कुनाल का इनपुट)

 

 

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