पराली से बंजर जमीन को बनाया 'सोना', किसान के इस कमाल से खेत में उगने लगी फसल

हरियाणा के करनाल में किसान समर्थ सिंह आस्ट्रेलिया में पढ़ते हैं, लेकिन हर वर्ष फसल कटाई और बुवाई के वक्त अपने गांव लौटते हैं. गांव आकर वो पिता का खेती में हाथ बंटाते हैं. साथ ही पराली प्रबंधन में भी मदद करते हैं.

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पराली प्रबंधन पराली प्रबंधन

aajtak.in

  • करनाल,
  • 15 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST

अक्टूबर के महीने में देशभर में धान की फसल की कटाई होती है. इस वक्त उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ जाती है. हरियाणा से भी बड़े पैमाने पर हर साल ऐसी घटनाएं आती हैं. हालांकि, हरियाणा सरकार इस बार पहले से ही तैयार है. किसान पराली न जलाए इसके लिए सरकार जागरूकता कार्यक्रम चला रही है. साथ ही पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई भी की जा रही है. इन सबके बीच करनाल में एक ऐसे किसान हैं जो पराली को जलाने की बजाय उसे खेतों में खाद के तौर पर उपयोग कर अच्छा उत्पादन हासिल कर रहे हैं.

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बंजर जमीन की उर्वरकता को बढ़ाया

किसान समर्थ सिंह आस्ट्रेलिया में पढ़ते हैं, लेकिन हर वर्ष फसल कटाई और बुवाई के वक्त अपने गांव लौटते हैं. गांव आकर वो पिता का खेती में हाथ बंटाते हैं. उन्होंने बताया कि 06 साल पहले हरियाणा सरकार की अपील पर उन्होंने पराली प्रबंधन शुरू किया. उन्होंने अपने पुश्तैनी जमीन पर पराली मिलाकर धीरे-धीरे जमीन की उर्वरक क्षमता को बढ़ाया था. 

ऐसे करते हैं पराली का प्रबंधन

किसान समर्थ सिंह ने कहते हैं कि  वह करीब 60 एकड़ जमीन की खेती करते हैं. इस जमीन में से कुछ एकड़ पर वे पराली की कटर से कटाई करके जमीन के अंदर ही (ईन सी टू मैनेजमेंट) मिला देते हैं, जबकि कुछ में बेलर के माध्यम (एक्स सी टू मैनेजमेंट) से गांठे बनवाते हैं. दोनों ही स्थिति किसान के लिए फायदेमंद है. उन्होंने दूसरे किसानों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में पराली प्रबंधन करने की अपील की.

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किसानों से की ये अपील

किसान समर्थ सिंह ने कहा कि आग लगाने से सबसे ज्यादा विकट समस्या पर्यावरण प्रदूषण की पैदा होती है. यह सीधे-सीधे हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है.  हमें सांस लेने तक में दिक्कत महसूस होती है, तभी हरियाणा सरकार के साथ-साथ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इस विषय पर इतनी गंभीर है. इसके अतिरिक्त पराली में आग लगाने से जमीन की उर्वरक क्षमता भी घटती है. जमीन के मित्र कीट भी पराली के साथ जल जाते हैं. किसानों को भी आगे आकर पराली में आग लगाने से बचना चाहिए.

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रिपोर्ट: कमलदीप

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