PAK: हिंदू युवती ने मुस्लिम से की थी शादी, अब कोर्ट ने दी पति संग रहने की इजाजत

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक और धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया है. महिला ने धर्मांतरण करके एक मुस्लिम शख्स से शादी की. घरवालों ने आरोप लगाया कि महिला का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है. कोर्ट ने महिला को अपने पति के साथ रहने की इजाजत दे दी है.

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पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन के खिलाफ होते रहे हैं प्रोटेस्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर) पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन के खिलाफ होते रहे हैं प्रोटेस्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2020,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

  • घरवालों ने पति पर लगाया धर्मांतरण का आरोप
  • महिला ने अपनाया इस्लाम, 17 जून से थी लापता
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक हिंदू महिला ने मुस्लिम शख्स से शादी की. महिला के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि शख्स ने उनकी बेटी का अपहरण किया है, फिर उसका धर्म परिवर्तन करा दिया. ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने महिला को अपने पति के साथ रहने की इजाजत दी है.

दरअसल रेशमा नाम की एक लड़की 17 जून से ही लापता थी. वह सिंध प्रांत के गढ़ि सभ्यो इलाके की रहने वाली है. उसके घर वाले लापता होने के बाद से ही उसकी तलाश कर रहे थे. उसके अभिभावकों ने शक जताया कि दिल मुराद चंदियो नाम के एक शख्स ने रेशमा का अपहरण किया और उससे शादी करने के लिए जबरन इस्लाम धर्म में परिवर्तन कराया है.

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बागरी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली रेशमा इसी सप्ताह अपने पति के साथ डेरा अल्लायार में अदालत में पेश हुई उसने कहा कि वह 20 वर्ष से अधिक उम्र की है. उसने चंदियो से अपनी मर्जी के मुताबिक शादी की है.

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धर्म परिवर्तन के बाद बदला नाम

रेशमा ने अदालत में बताया कि उसने इस्लाम में जाने के बाद अपना नाम बशीरन रख लिया है. ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने उसे अपने पति के साथ घर जाने की इजाजत दे दी है. रेशमा के अभिभावकों ने जकोबाबाद स्थित सद्दार पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है.

हिंदू कम्युनिटी के नेताओं ने इससे पहले लगातार हिंदू लड़कियों के इस्लाम में धर्म परिवर्तन को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है. सिंध प्रांत में ऐसे मामले ज्यादा सामने आए हैं. उनका कहना है कि ज्यादातर मामलों में लड़कियों का अपहरण किया जाता है, फिर उनका धर्म परिवर्तन कर दिया जाता है.

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उठता रहा है सिंध में धर्म परिवर्तन रोकने का मुद्दा

डॉन अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंध सरकार ने दो बार जबरन धर्मांतरण और विवाह को रोकने के संबंध में नियम तय करने की कोशिश की है. ऐसे कानून जिसमें अल्पसंख्यक विधेयक के संरक्षण में अदालती प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश देना, और धर्म परिवर्तन के लिए 18 साल की आयु सीमा रखना और बेहतर तरीके से सक्षम करना शामिल है.

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2016 में, बिल को सर्वसम्मति से सिंध विधानसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन धार्मिक दलों ने धर्मांतरण के लिए एक आयु सीमा पर आपत्ति जताई और विधानसभा को घेरने की धमकी दी थी. उनका कहना था कि अगर इसे राज्यपाल की मंजूरी मिली तो हम विधानसभा का घेराव करेंगे. उस वक्त गवर्नर ने कानून पर दस्तखत करने से मना कर दिया. 2019 में कानून का एक संशोधित संस्करण पेश किया गया था, लेकिन धार्मिक दलों ने एक बार फिर विरोध किया.

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