हिन्दी-तमिल विवाद पर US की धरती से PM का संदेश, बोले- भाषायी विविधता हमारी ताकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन से अपने संबोधन में भारत में भाषा विवाद को सुलगाने की कोशिशों पर भी करारा प्रहार किया. पीएम ने इस विवाद पर सीधे तौर पर बिना कुछ कहे भी इस विवाद को हवा दे रहे लोगों को संदेश दे दिया.

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ह्यूस्टन में बच्चों संग तस्वीर खिंचवाते पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप (फोटो-twitter/PBNS_India) ह्यूस्टन में बच्चों संग तस्वीर खिंचवाते पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप (फोटो-twitter/PBNS_India)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 10:05 AM IST

  • भाषा विवाद पर नरेंद्र मोदी ने अमेरिका से दिया संदेश
  • भाषायी विविधता भारत की ताकत- मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन से अपने संबोधन में भारत में भाषा विवाद को सुलगाने की कोशिशों पर भी करारा प्रहार किया. पीएम ने इस विवाद पर सीधे तौर पर बिना कुछ कहे भी इस विवाद को हवा दे रहे लोगों को संदेश दे दिया. पीएम मोदी ने कहा कि भारत भिन्न भाषाओं, भिन्न संस्कृति, भिन्न खानपान के साथ विविधताओं से भरा पूरा देश है और यही इसकी अनूठी पहचान है और ताकत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 50 हजार अमेरिकी भारतीयों को संबोधित करते हुए 'हाउडी मोदी' के जवाब में कहा कि भारत में सब कुछ ठीक है. दरअसल 'हाउडी मोदी' हाउ डू यू डू मोदी वाक्य का संक्षिप्त रूप है. इसका मतलब होता है मोदी आप कैसे हैं? पीएम नरेंद्र मोदी ने इस सवाल के जवाब में कहा कि भारत में सब ठीक है. पीएम मोदी ने इस जवाब को कई भाषाओं में व्यक्त करने की कोशिश की. भारत में भाषाओं की विविधता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "सब चंगा सी, मजा मा छे, एल्लाम सौकियाम, सब खूब भालो, सबू भाल्लाछी."

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इसके बाद पीएम ने कहा कि मेरे अमेरिकी मित्र इससे आश्चर्यचकित हैं कि मैंने क्या कह दिया. प्रेसिडेंट ट्रंप और मेरे अमेरिकी मित्रों, मैंने भारतीय भाषाओं में केवल यह कहा कि सब कुछ ठीक है.

अमित शाह के बयान से पैदा हुआ था विवाद

14 सितंबर को हिन्दी दिवस के मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने, आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है. अमित शाह के इस बयान का तमिलनाडु में व्यापक विरोध हुआ था. डीएमके अध्यक्ष स्टालिन, एक्टर कमल हासन, रजनीकांत ने गृह मंत्री के इस बयान का विरोध किया था और कहा था कि वे अपनी मातृभाषा से इतर हिन्दी थोपने को बर्दाश्त नहीं करेंगे.

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सह अस्तित्व की भावना से आगे बढ़ रही हैं भाषाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की धरती से इस विवाद को खत्म करने की कोशिश की और साफ कहा कि भाषायी विविधता भारत की शक्ति है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत में सदियों से सैकड़ों भाषाएं, सैकड़ों बोलियां सह अस्तित्व की भावना से आगे बढ़ रही हैं.

पीएम ने संदेश दिया कि भारत में भाषायी श्रेष्ठता का कोई स्थान नहीं है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग पंथ, दर्जनों संप्रदाय, ऋतु चक्र इस धरती को अद्भुत बनाते हैं. मोदी ने कहा कि विविधता में एकता हमारी धरोहर है, भारत की विविधता हमारी मजबूत लोकतंत्र का आधार है. उन्होंने कहा कि भारतवासी जहां-जहां जाते हैं, विविधता और लोकतंत्र के संस्कार साथ-साथ लेकर चले जाते हैं. पीएम ने कहा कि हमारा जीवंत लोकतंत्र हमारा आधार है और यही हमारी प्रेरणा है.

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