CAA के खिलाफ साझा प्रस्ताव पर यूरोपीय संघ संसद में चर्चा आज

ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ संसद में नागरिकता संशोधन कानून पर आज चर्चा होगी. कुछ दलों के साझा प्रस्ताव में CAA को लेकर मोदी प्रशासन की निंदा की गई है.

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भारत ने जताई थी कड़ी आपत्ति  Photo: @Europarl_Photo भारत ने जताई थी कड़ी आपत्ति Photo: @Europarl_Photo

गीता मोहन

  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 1:10 PM IST

  • ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ संसद में CAA पर चर्चा आज
  • यूरोपियंस कंजरवेटिव्स एंड रिफॉर्मिस्ट्स ग्रुप ने नाम वापस लिया
ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ संसद में बुधवार शाम को भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) पर चर्चा होगी. ये चर्चा संसद के पूर्ण सत्र में भारतीय समयानुसार रात 10.45 बजे (स्थानीय समयानुसार 6.15 बजे) होगी. CAA पर पहले कुल छह ड्राफ्ट प्रस्ताव संसद में चर्चा के लिए पेश किए जाने थे. अंतिम साझा प्रस्ताव पांच राजनीतिक ग्रुप ला रहे हैं.

इन ग्रुपों के नाम हैं- रीन्यू ग्रुप (108 सदस्य), यूरोपीय यूनाईटेड लेफ्ट/नोर्डिक ग्रीन लेफ्ट ग्रुप (41 सदस्य), यूरोपीय पीपल्स पार्टी (182 सदस्य), प्रोग्रेसिव एलायंस ऑफ सोशलिस्ट एंड डेमोक्रेटिक ग्रुप (75 सदस्य) . पहले यूरोपियंस कंजरवेटिव्स एंड रिफॉर्मिस्ट्स ग्रुप (66 सदस्य) भी इन ग्रुपों के साथ था लेकिन उसने अब अपना नाम वापस ले लिया है. इस तरह कुल 751 सदस्यीय संसद में अब प्रस्ताव लाने वाले ग्रुपों के सांसदों की संख्या 626 से घट कर 560 रह गई है.

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जबकि साझा प्रस्ताव (संख्या B9-0077/2020 से B9-0080/2020) और B9-0082/2020) में कश्मीर का कोई जिक्र नहीं है, ये CAA से विशिष्ट तौर पर जुड़ा है लेकिन कुछ निजी प्रस्तावों में कश्मीर का ज़रूर उल्लेख है. साझा प्रस्ताव में CAA को लेकर मोदी प्रशासन की निंदा की गई है.

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प्रस्ताव में कहा गया है, “CAA को मंजूर करने और फिर उसे लागू करने को लेकर बहुत खेद है. ये भेदभाव वाला है और खतरनाक ढंग से विभाजनकारी है; हम भारत सरकार से नागरिकों की याचिकाओं पर तत्काल जवाब देने का आह्वान करते हैं जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने ज़रूरत जताई है."

इसमें आगे कहा गया है, "साथ ही भारत सरकार से आबादी के विभिन्न वर्गों से शांतिपूर्ण वार्ता करने और भेदभाव वाले संशोधनों को वापस लेने की अपील करते हैं. ये भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करता है. राष्ट्रवाद बढ़ना चिंतित करने वाला है क्योंकि इससे अन्य विषयों में मुस्लिमों के खिलाफ धार्मिक असहिष्णुता और भेदभाव को बढ़ावा मिल रहा है.”  

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आर्थिक संघ का आधिकारिक रुख नहीं

यूरोपीय संघ (EU) ने सोमवार को यूरोपीय संसद में इन राजनीतिक ग्रुपों की ओर से लाए जाने वाले प्रस्तावों से खुद को अलग कर लिया था. EU के मुताबिक यूरोपीय संसद या उसके सदस्यों ने जो विचार व्यक्त किए हैं वो 28 सदस्यीय राजनीति और आर्थिक संघ का ‘आधिकारिक रुख’ नहीं है.

विदेश मामलों और सुरक्षा नीति पर EU प्रवक्ता विर्जिनी बाट्टू-हेरिक्सन ने इंडिया टुडे को बताया,  “नियमित प्रक्रिया के मुताबिक यूरोपीय संसद ड्राफ्ट प्रस्ताव प्रकाशित करती है . यह दोहराना अहम है कि ये टेक्स्ट सिर्फ यूरोपीय संसद में विभिन्न राजनीतिक ग्रुपों की ओर से रखे गए सिर्फ ड्राफ्ट हैं. मुझे आपको ये याद दिलाने भी दीजिए कि यूरोपीय संसद और इसके सदस्यों की ओर से जताए गए विचार यूरोपीय संघ के ‘आधिकारिक रुख’ को व्यक्त नहीं करते.”

'गैर मुस्लिमों को संरक्षण देना CAA का मकसद'

साझा प्रस्तव में ना सिर्फ पुनर्विचार की अपील की गई है बल्कि इसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से भी जोड़ा गया है. बता दें कि NRC लाए जाने की बात को भारत सरकार पहले ही आधिकारिक तौर पर खारिज कर चुकी है. साझा प्रस्ताव में कहा गया है कि NRC का उद्देश्य मुस्लिमों को नागरिकता अधिकार से वंचित करना और हिन्दुओं और अन्य गैर मुस्लिमों की नागरिकता का संरक्षण करना है.

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जहां फ्रांस ने भारत का समर्थन किया है वहीं लक्ज़मबर्ग ने आबादी के एक वर्ग को नागरिकताविहीन करने की आशंका पर चिंता जताई है.

लग्ज़मबर्ग के विदेश और यूरोपीय मामले मंत्री जीन एसलेबॉर्न ने कहा, “जहां तक विधेयक के तर्कों का सवाल है तो मैंने विदेश मंत्री से चर्चा की है और आज सुबह हम सहमत हुए कि समाधान या प्रभाव ऐसे नहीं होने चाहिए जिससे नागरिकताविहीन लोगों की संख्या बढ़े. ये भारत को करना है. मैं वो नहीं हूं जो सुझाव दूं.”

'CAA भारत का आंतरिक मसला'

साझा प्रस्ताव में जोर दिया गया है, सभी प्रवासी. बिना इस बात को देखे कि उनके प्रवास का क्या दर्जा है, सम्मान, संरक्षण और बुनियादी मानवाधिकार पाने के हक़दार हैं. फ्रांस से जुड़े एक राजनयिक सूत्र ने सोमवार को कहा था, “यूरोपीय संघ के संस्थापक सदस्य फ्रांस के लिए CAA भारत का आंतरिक राजनीतिक मामला है. हम कई मौकों पर इसे साफ कर चुके हैं. यूरोपीय संसद ऐसी संस्था है जो सदस्य देशों और यूरोपीय आयोग से स्वतंत्र है.”

ड्राफ्ट प्रस्ताव के जवाब में भारत सरकार के सूत्रों ने रविवार को कहा, “CAA  ऐसा मामला है जो भारत के लिए पूरी तरह आंतरिक है. इस कानून को पूरी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक तरीके से संसद के दोनों सदनों में व्यापक चर्चा के बाद लाया गया.”

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धर्मनिरपेक्षता के प्रवृत्ति के खिलाफ

प्रस्ताव में इस बात का उल्लेख है कि भारतीय संसद में क़ानून के पास होने के बाद केरल जैसे कुछ राज्यों ने एलान किया है कि वो इसे लागू नहीं करेंगे क्योंकि ये ‘भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रवृत्ति का उल्लंघन है.’ प्रस्ताव में CAA के कानून बनने के बाद देश के कुछ हिस्सों में हिंसा और दमन की घटनाओं की निंदा की गई है.

कहा गया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सामाजिक जिम्मेदारी है कि वो संयम दिखाएं और शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दें. प्रस्ताव में ऐसी घटनाओं की त्वरित और निष्पक्ष जांच पर जोर दिया गया है. साथ ही भारत सरकार से हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बिना शर्त और तत्काल रिहा करने की अपील की गई है.

लोकतांत्रिक सरकार का फैसला

छह ड्राफ्ट प्रस्तावों के जवाब में भारत सरकार के सूत्रों ने रविवार को स्पष्ट किया था, “CAA  ऐसा मामला है जो भारत के लिए पूरी तरह आंतरिक है. इस कानून को पूरी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक तरीके से संसद के दोनों सदनों में व्यापक चर्चा के बाद लाया गया.”

सूत्र ने सवाल किया कि क्या किसी बाहरी पक्ष को लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार की ओर से लिए गए फैसलों पर कार्रवाई का किसी तरह का अधिकार है? साझा प्रस्ताव पर बुधवार को यूरोपीय संघ में चर्चा के बाद गुरुवार को वोटिंग होगी. इसके बाद उसी दिन शाम 4.30 बजे से 5.30 बजे वोटिंग को लेकर विस्तृत जानकारी दी जाएगी.

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