चॉकलेट की कीमतों में भारी उछाल! कैसे बर्बादी की तरफ बढ़ रही कोकोआ की खेती?

चॉकलेट की कीमतों में अचानक से काफी उछाल देखा जा रहा है. अफ्रीकी देशों में पैदा होने वाले कोकोआ, जिससे चॉकलेट बनता है, की फसल पर जलवायु परिवर्तन का असर हो रहा है. फसल में कमी के कारण चॉकलेट की कीमत भी बढ़ती जा रही है.

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कोकोआ की फसल में गिरावट से चॉकलेट की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं (Photo- Reuters) कोकोआ की फसल में गिरावट से चॉकलेट की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं (Photo- Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST

पश्चिम अफ्रीका के चार देश घाना, नाइजीरिया, कैमरून और आइवरी कोस्ट 100 अरब डॉलर से अधिक की चॉकलेट इंडस्ट्री की नींव हैं. इन देशों में कोकोआ के पेड़ों की भरमार हैं जिनमें दर्जनों बीज वाली फलिया उगती हैं. कटाई के बाद इन फलियों को सुखाया जाता है, भुना जाता है और फिर कोकोआ पाउडर निकलता है. इसी कोकोआ पाउडर से चॉकलेट बनता है.

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चॉकलेट को हजारों सालों से पसंद किया जाता रहा है और खास तौर पर वैलेंटाइन डे पर तो यह प्यार का प्रतीक माना जाता है. लेकिन इस प्यार की मिठास अब कम होती जा रही है क्योंकि चॉकलेट बनाने में इस्तेमाल होने वाले कोकोआ की कीमतों में पिछले साल 300% का उछाल आया. इस उछाल की वजह से इस साल चॉकलेट और कोकोआ पाउडर काफी महंगा हो गया है. 

रविवार को ईस्टर के मौके पर इस्तेमाल होने वाले ईस्टर अंडे भी पिछले साल की अपेक्षा काफी महंगे बिके. अमेरिका की मल्टीनेशनल वित्तीय कंपनी वेल्स फार्गो बैंक के अनुसार, अमेरिका में खुदरा चॉकलेट की कीमतें इस वैलेंटाइन डे पर पिछले साल की तुलना में पांच गुना से ज्यादा बढ़ गई थीं. अमेरिका में बिकने वाले किंग-साइज रीज हार्ट्स चॉकलेट बार की कीमत फरवरी 2024 में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक थी.

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इस बीच, ब्रिटेन में, ईस्टर से पहले टेस्को सुपरमार्केट में ट्विक्स व्हाइट चॉकलेट ईस्टर अंडे की कीमत 5 से 6 पाउंड (566 रुपये से लेकर 680 रुपये) तक बढ़ गई. ईस्टर अंडे का आकार भी 316 ग्राम से घटकर 258 ग्राम हो गया है. 

क्यों बढ़ रही कोकोआ की कीमतें?

कोकोआ की कीमतों में उछाल के कई कारण हो सकते हैं. इनमें सबसे बड़ी वजह खराब मौसम को बताया जा रहा है. पर्यावरण के लिए काम करने वाले थिंक टैंक एनर्जी एंड क्लाइमेट इंटेलिजेंस यूनिट (ECIU) के विश्लेषक एम्बर सॉयर का कहना है कि चॉकलेट की कीमतों में और उछाल आएगा और इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए.

सॉयर ने कहा, 'जलवायु परिवर्तन के वजह से मौसम में होने वाले बदलावों की वजह से प्रभावित होने वाले फूड्स में चॉकलेट शामिल है और इसलिए यह महंगा होता जा रहा है. मौसम और खराब होता जाएगा जिससे चॉकलेट भी महंगा होता जाएगा.'

बेंचमार्क न्यूयॉर्क फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स, जो कि कोकोआ की कीमतों का एक्सचेंज करता है, ने बताया कि दिसंबर 2024 में कोकोआ 12,565 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के उच्च स्तर पर पहुंच गया.

पिछले साल कोकोआ की फसल काफी कम हुई जिस कारण इसकी सप्लाई में रिकॉर्ड कमी देखी गई. खराब मौसम और फसल में बीमारी लगने के कारण घाना और आइवरी कोस्ट में फसलें नष्ट हो गईं. घाना और आइवरी कोस्ट में दुनिया की दो तिहाई कोकोआ की फलियां उगाई जाती हैं.

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फरवरी में प्रकाशित दो रिपोर्टों में पाया गया कि दुनिया के जिन देशों में कोकोआ उत्पादन का केंद्र है, वहां तापमान में काफी बढ़ोतरी हो रही है. पेड़ों पर जब कोकोआ लगने शुरू होते हैं तब तापमान कम चाहिए होता है लेकिन प्रारंभिक फसल के दौरान तापमान बढ़ने से फसल को नुकसान हो रहा है. दोनों रिपोर्टों में कहा गया कि तेल, कोयला और मीथेन को जलाने से धरती की कोकोआ बेल्ट बर्बाद हो रही है और चॉकलेट की कीमतें आसमान छू रही हैं.

गैर-लाभकारी संस्था क्लाइमेट सेंट्रल की विज्ञान उपाध्यक्ष क्रिस्टीना दहल कहती हैं, 'दुनिया के सबसे पसंदीदा फूड्स में से एक जलवायु परिवर्तन के कारण खतरे में है.' दोनों रिपोर्टों में से एक की लेखिका क्रिस्टीना आगे कहती हैं, 'इंसानी गतिविधियां कोकोआ को उगाने में बड़ी बाधा बन रही हैं.'

कोकोआ के तीसरे और चौथे सबसे बड़े उत्पादक नाइजीरिया और इंडोनेशिया में भी फसल की कमी देखी गई है.

कुल मिलाकर, 2024 में वैश्विक बाजारों में कोकोआ की 500,000 टन की कम सप्लाई पहुंची जिससे कीमतों में लगातार तेजी बनी रही.

कीमतों में बढ़ोतरी से कम चॉकलेट की बिक्री का पूर्वानुमान

यूरोपीय बैंकिंग संस्था कॉमर्सबैंक के विश्लेषक कार्स्टन फ्रित्श ने ग्राहकों को लिखे एक नोट में कहा कि कोकोआ की नई फसल- जो अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 तक चलेगी- की शुरुआत अच्छी रही, पिछले साल की तुलना में आइवरी कोस्ट के बंदरगाहों पर 33 प्रतिशत अधिक फलियां पहुंचीं.

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फ्रित्श ने कहा कि न्यूयॉर्क कोकोआ फ्यूचर्स की कीमत वर्तमान में लगभग 8,350 डॉलर प्रति टन पर चल रही है जो दिसंबर की तुलना में काफी कम है. लेकिन इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं कि पिछले साल की फसल को बर्बाद करने वाला सूखा मौसम इस साल भी उतना ही विनाशकारी असर डालेगा.

इस अनिश्चितता का असर चॉकलेट बनाने वालों पर पड़ रहा है. स्विस चॉकलेट निर्माता बैरी कैलेबॉट ने 11 अप्रैल को कोकोआ की कीमतों में अस्थिरता का हवाला देते हुए अपने बिक्री पूर्वानुमान में कटौती की. कटौती के बाद कंपनी के शेयरों में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट आई जो कि अब तक की सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट है.

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