श्रीलंका आ रहे चीन के इस शिप ने हिन्द महासागर में पैदा कर दी जबरदस्त टेंशन

चीन का जासूस पोत युआन वांग 5 श्रीलंका आने वाला था. लेकिन इसकी यात्रा को स्थगित करने के लिए श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीनी दूतावास को चिट्ठी लिखी है. इसके साथ ही भारत ने भी इस शिप की श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉकिंग को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है. हालांकि चीन के दूतावास ने इस संबंध में श्रीलंका के उच्चाधिकारियों की बैठक बुलाई है.

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चीनी स्पेस सेटेलाइट ट्रैकिंग शिप 'युआन वांग 5' (फोटो-PTI) चीनी स्पेस सेटेलाइट ट्रैकिंग शिप 'युआन वांग 5' (फोटो-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 6:20 AM IST

श्रीलंका आ रहे चीन के एक शिप ने हिन्द महासागर में भारी टेंशन पैदा कर दी है. दरअसल चीन का स्पेस सैटेलाइट ट्रैकर शिप 'युआन वांग 5' श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर आने वाला था. लेकिन श्रीलंका के विदेश मंत्रालय की ओर से मांग की गई है कि इस जहाज की डॉकिंग को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया जाए. इसके बाद चीनी दूतावास ने श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ अर्जेंट मीटिंग की मांग की. हालांकि भारत ने भी हाई टेक्नोलॉजी वाले इस चीनी जासूस जहाज की डॉकिंग पर कड़ी नाराजगी जताई है. भारत ने कहा है कि वह अपनी सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी एक्टिविटी की सावधानी से निगरानी करता है.

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सूत्रों के मुताबिक चीनी स्पेस सेटेलाइट ट्रैकिंग शिप 'युआन वांग 5' को 11 से 17 अगस्त तक श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक करने की योजना बनाई गई थी. लेकिन श्रीलंका की ओर से अनुरोध किया गया है कि इस शिप की डॉकिंग तब तक के लिए स्थगित कर दी जाए, जब तक कि दोनों देश इस मामले पर आगे की सलाह न कर लें. 

चीनी दूतावास से श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने 5 अगस्त को इस संबंध में अनुरोध किया था. लेटर मिलने के बाद चीनी दूतावास ने श्रीलंका के उच्च अधिकारियों के साथ तत्काल बैठक की मांग की. वहीं श्रीलंकाई मीडिया के मुताबिक श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने इस संबंध में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग के साथ बंद कमरे में बैठक की. 

क्या थी इस शिप की यात्रा की वजह 
 

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दरअसल, श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक के बीच 12 जुलाई को तत्कालीन सरकार ने हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी पोत के डॉकिंग को मंजूरी दे दी थी. बताया जा रहा है कि चीनी शिप को फ्यूल भरने के लिए श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक करना था. जानकारी के मुताबिक फ्यूल लेने के बाद अगस्त-सितंबर के दौरान हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में शिप से सेटेलाइट कंट्रोल और रिसर्च ट्रैकिंग करने की योजना थी.

भारत ने शिप को लेकर श्रीलंका को चेताया

हंबनटोटा के दक्षिणी समुद्री बंदरगाह को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. राजपक्षे परिवार के होमटाउन में स्थित हंबनटोटा बंदरगाह बड़े पैमाने पर चीनी ऋण के साथ विकसित किया गया है. वहीं मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत ने भी श्रीलंका से कहा है कि इस चीनी शिप की डॉकिंग से उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है. रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत ने इस मामले में श्रीलंका से कड़ी नाराजगी जाहिर की है. दरअसल, इस शिप में सेटेलाइट और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (Intercontinental Ballistic Missiles) को ट्रैक करने की क्षमता है.

भारत बारीकी से कर रहा निगरानी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने नई चीनी शिप को लेकर कहा कि हमें इस शिप की हंबनटोटा की प्रस्तावित यात्रा की जानकारी है. क्योंकि उन्होंने हाल ही में कहा था कि सरकार भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी डवलपमेंट की सावधानीपूर्वक निगरानी करती है और उनकी सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है. 

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ये है भारत की चिंता की वजह


भारत इस जासूसी जहाज को लेकर इसलिए चिंतित है क्योंकि शिप के ट्रैकिंग सिस्टम श्रीलंकाई बंदरगाह के रास्ते में भारतीय प्रतिष्ठानों की जासूसी करने का प्रयास कर रहे हैं. भारत ने हिंद महासागर में चीनी सैन्य जहाजों के बारे में हमेशा कड़ा रुख अपनाया है और अतीत में श्रीलंका के साथ इस तरह की यात्राओं का विरोध किया है.  

श्रीलंका से तनावपूर्ण हो गए थे संबंध
 

2014 में श्रीलंका द्वारा अपने एक बंदरगाह में चीनी परमाणु संचालित पनडुब्बी को डॉक करने की अनुमति देने के बाद भारत और श्रीलंका के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे. दरअसल, श्रीलंका के इंफ्रास्ट्रक्चर में चीन ने भारी निवेश किया है. 2017 में श्रीलंका ने दक्षिणी बंदरगाह को चीन के मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स को 99 साल के लिए पट्टे पर दिया था. क्योंकि श्रीलंका ऋण का भुगतान करने में असमर्थ था. 

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