ज्यादा खर्च फिर भी अवैध प्रवासियों को मिलिट्री प्लेन से वापस क्यों भेज रहे ट्रंप? भारतीयों को भी विमान में चढ़ाया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही अपने कहे अनुसार, अवैध प्रवासियों को उनके घर भेजना शुरू कर दिया है. खास बात है कि, इन प्रवासियों को उनके देश किसी सिविल विमान से नहीं बल्कि अमेरिकी सेना के विशेष विमानों से भेजा जा रहा है.

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यूएस आर्मी प्लेन से अपने देश वापस भेजे जा रहे अवैध प्रवासी यूएस आर्मी प्लेन से अपने देश वापस भेजे जा रहे अवैध प्रवासी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही अपने वादे के अनुसार, अवैध प्रवासियों को उनके घर भेजना शुरू कर दिया है. अमेरिका में गैर-कानूनी तरीके से रह रहे भारत समेत कई देशों के काफी नागरिकों को उनके देश वापस भेजा जा रहा है. सबसे खास बात है कि, इन प्रवासियों को वापस किसी सिविल विमान से नहीं बल्कि अमेरिकी सेना के विशेष विमानों से भेजा जा रहा है.

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कोलंबिया की सरकार ने अमेरिकी सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए अमेरिकी सेना के विमानों को आने से रोक दिया था. कोलंबिया ने अपने नागरिकों को वापस बुलाने के लिए अपने सिविल विमानों को अमेरिका भेजा.

अमेरिका में ऐसा पहली बार है जब अवैध प्रवासियों को भेजने के लिए सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका खर्च सिविल प्लेन के मुकाबले काफी ज्यादा महंगा है. इसके बावजूद नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खर्च बढ़ने से परेशान नहीं हैं. वह शायद किसी मकसद के साथ ऐसा कर रहे हैं. ट्रंप अवैध प्रवासियों को यूएस आर्मी के प्लेन से उनके वतन वापस भेजकर दुनिया भर में संदेश देना चाह रहे हैं.

कमर्शियल और आर्मी, दोनों तरह के विमानों में कितना है खर्च का अंतर?

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, अगर दोनों विमानों में खर्च की तुलना की जाए तो अमेरिकी सैन्य विमानों का खर्चा कहीं ज्यादा है. हाल ही में ग्वाटेमाला देश के अवैध प्रवासियों को सैन्य विमान से वापस भेजा गया था. इस प्रक्रिया में प्रति आदमी 4 हजार 675 डॉलर का खर्च आया और यह सिविल प्लेन के खर्च से 5 गुना ज्यादा है. अगर कोई अमेरिकन एयरलाइंस से इसी रूट पर जाता है तो एक आदमी का खर्च सिर्फ 853 डॉलर ही आएगा. 

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रॉयटर्स के अनुसार, साल 2023 में यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट के कार्यकारी डायरेक्टर टाय जॉनसन ने अमेरिकी सदन में बताया था कि, सिविल विमान से 135 प्रवासियों को वापस भेजने में करीब 17 हजार डॉलर प्रति घंटे का खर्च आता है. अगर रास्ता कम से कम 5 घंटे का है तो उस अनुसार यह खर्च 85 हजार डॉलर पहुंच जाता है. एक आदमी के हिसाब से देखें तो 630 डॉलर का खर्च आता है. 

वहीं अगर अमेरिकी सेना के सी-17 विमानों को इस्तेमाल किया जाए तो खर्च प्रत्येक घंटे के हिसाब से 28 हजार 500 डॉलर आता है. अवैध प्रवासियों को भेजने के लिए अभी तक सबसे लंबा रूट भारत का है. भारत से पहले अमेरिकी सेना के विमान ग्वाटेमाला, पेरू, हैंडर्स और इक्वाडोर अवैध प्रवासियों को छोड़ने जा चुके हैं. कोलंबिया भी इन्हीं देशों में शामिल था लेकिन वह नहीं चाहता था कि यूएस आर्मी के विमान से उनके नागरिक वापस आएं. इसलिए कोलंबिया ने अपने सिविल विमानों को अमेरिका भेजा जिसमें सम्मान के साथ उसके नागरिक वापस अपने देश पहुंचे.

ट्रंप क्यों चाहते हैं कि सेना के विमानों से ही अवैध प्रवासी अपने घर जाएं?
अमेरिका में चुनाव के समय से ही डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासन के मुद्दे पर जोरों-शोरों से प्रचार कर हे थे. डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासियों को अमेरिका में घुसपैठ करने वाले 'एलियंस' से लेकर 'अपराधी' तक कहते रहे हैं. सेना के विमानों में अब इन्हें अपराधियों की तरह ही हाथ-पैर बांधकर वापस भेजा जा रहा है. ऐसा करने से एक संदेश दुनिया भर में जाएगा कि ट्रंप अवैध प्रवासन के मामले में बहुत ज्यादा सख्त हैं. 

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बेशक सिविल विमानों से लोगों को भेजना अमेरिकी सरकार को सस्ता पड़े लेकिन उसका प्रभाव ज्यादा नहीं होगा. जबकि अगर यूएस आर्मी के विमानों से लोग वापस भेजे जाते हैं तो यह काफी ज्यादा प्रभावशाली होगा.

हाल ही में रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों से बात करते हुए भी ट्रंप ने कहा था कि, इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि हमारी सरकार इन 'अवैध एलियंस' को सेना के विमानों में भरकर वापस भेज रही है. सालों से जो लोग हमें मूर्ख लोग समझकर हंस रहे थे, अब वह हमारा फिर सम्मान करेंगे.

डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतने के बाद से ही अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे लोगों को किसी डिटेंशन सेंटर न भेजकर जल्द से जल्द उन्हें उनके देश वापस भेजने की तैयारी कर रहे थे. पिछले साल दिसंबर में उन्होंने कहा था कि, वह नहीं चाहते हैं कि यह अवैध प्रवासी 20 सालों तक कैंप में रहें. वह इन सभी लोगों को उनके देश वापस भेजना चाहते हैं और उनके देशों को भी इन्हें वापस लेना होगा.

24 जनवरी को व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कुछ तस्वीरें भी शेयर की थीं जिनमें अमेरिका से वापस भेजे जा रहे अवैध प्रवासियों के हाथ बंधे हुए थे और उन्हें अपराधियों की तरह ही प्लेन में भेजा जा रहा था. लेविट ने अपनी पोस्ट पर लिखा था कि, अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. राष्ट्रपति ट्रंप पूरे विश्व को यह संदेश देना चाहते हैं कि अगर आप अवैध तरीके से अमेरिका में आते हैं तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

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डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम से खुश नहीं है लैटिन अमेरिकी क्षेत्र के नेता
डोनाल्ड ट्रंप के अवैध प्रवासियों को यूएस आर्मी के विमान से वापस भेजने के प्लान से लैटिन अमेरिका क्षेत्र के कई देश नाराज हैं. खासतौर पर कुछ क्षेत्रीय वामपंथी नेता और मेक्सिको व ब्राजील के राष्ट्रपति ने अमेरिका के इस एक्शन पर चिंता जाहिर की.

मेक्सिको की राष्ट्रपति का मानना है कि, अमेरिकी सेना के विमानों का उनके क्षेत्र में आना उनकी संप्रभुता के लिए खतरनाक है. राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम पार्डो ने कहा कि, वह अपनी सीमाओं में कुछ भी करें लेकिन जब बात मेक्सिको की आती है तो हम सबसे पहले अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हैं और बातचीत के जरिए चीजों का हल निकालने की कोशिश करते हैं.

अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए हमेशा तैयार भारत सरकार- एस जयशंकर
अमेरिका करीब 18 हजार ऐसे भारतीय नागरिकों को वापस भेज रहा है जो उसकी नजर में अवैध तरीके से अलग-अलग शहरों में रह रहे थे. बीते 27 जनवरी को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत हुई थी, उस समय भी इन 18 हजार नागरिकों को भारत वापस भेजने पर चर्चा की गई थी. 

भारत सरकार ने ट्रंप के सत्ता में आते ही अवैध प्रवासन की समस्या को सुलझाने के लिए साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई थी. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी साफ कर दिया था कि, भारत अपने नागरिकों को वापस बुलाने के लिए हमेशा तैयार है. 

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि, अवैध रूप से अमेरिका में रहने वाले भारतीय नागरिकों को वापस लेने कि लिए भारत हमेशा तैयार रहा है. विदेश मंत्री ने कहा था कि, भारत सरकार यह जांच कर रही है कि अमेरिका में कितनी संख्या में भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं और इन्हें वापस भेजा जा सकता है या नहीं.

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