प्रोफेसर विनय पाठक पर दर्ज केस की सीबीआई जांच की सिफारिश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. दरअसल, कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक पर आरोप है कि उन्होंने आगरा की बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी में हुए प्रिंटिंग वर्क के बिल पास करने के लिए कमीशन मांगा था. इसको लेकर उन पर केस दर्ज किया गया था.
इस बीच केस दर्ज कराने वाले डेनिस डेनियल ने हाईकोर्ट में सीबीआई जांच का विरोध करते हुए हाईकोर्ट की निगरानी में जांच कराने के लिए याचिका डाली है. डेनिस डेनियल ने ही लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में अजय मिश्रा और विनय पाठक पर रंगदारी वसूली की एफआईआर दर्ज कराई थी. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच मामले पर 9 जनवरी को सुनवाई करेगी. 3 जनवरी को उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की थी.
ये है पूरा मामला
इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटल टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक डेविड एम डेनिस ने आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजी ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया.
उन्होंने बताया था कि साल 2020 से 21 और 2021- 22 में कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज विनय कुमार पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. आरोप है कि एफआईआर दर्ज कराने वाले डेविड डेनिस ने फरवरी 2022 में कानपुर स्थित विनय पाठक के सरकारी आवास पर मुलाकात की और जहां पर 15 फीसदी कमीशन की डिमांड रखी गई.
संतोष शर्मा