उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक अजब-गजब मामला सामने आया है. जहां एक शख्स ने खुद के लिए भारत रत्न की मांग कर दी. उसने गोरखपुर मण्डल के आयुक्त (कमिश्नर) कार्यालय को पत्र लिखकर ये मांग की है. सोशल मीडिया पर वायरल हुआ उसका मांग पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है. इसमें शख्स ने कहा कि ध्यान-साधना के दौरान उसे भारत रत्न पाने की इच्छा प्रकट हुई थी.
पत्र लिखने वाले शख्स ने खुद का नाम विनोद कुमार गोंड बताया है. विनोद के मुताबिक, वो गोरखपुर के सदर तहसील के थाना पिपराइच क्षेत्र का रहने वाला है. 30 सितंबर को संध्या वंदन से पूर्व जब ध्यान-साधना में बैठकर तपस्या कर रहा था तो अचानक अंतःकरण में भारत रत्न पाने की तीव्र आवाज आई.
मेरी मनोकामना पूर्ण की जाए: विनोद
विनोद ने पत्र में आगे लिखा कि इसीलिए निवेदन है कि मेरी मनोकामना पूर्ण की जाए और मुझे भारत रत्न से सम्मानित किया जाए. इसके लिए विनोद ने कमिश्नर और जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखकर उनका ध्यान आकर्षित किया है. वहीं विनोद अब सांसद, विधायक आदि से भी गुहार लगा रहा है.
विभागीय लापरवाही आई सामने
पत्र पाकर अधिकारी भी जांच करते-करते उसे राष्ट्रपति भवन तक भेज दिया. लेकिन जब इस मामले पर अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कैमरे पर बोलने से मना कर दिया. हालांकि, ऑफ कैमरा उन्होंने कहा है कि पत्र डाक से आया था. इसलिए जांच के लिए हमने भेज दिया. लेकिन जब भारत रत्न पुरस्कार पाने की इच्छा जाहिर करने वाले विनोद से बात की गई तो उसने कहा कि मैंने हैंड टू हैंड कमिश्नर साहब को पत्र दिया था. जिसपर कमिश्नर साहब ने कहा कि आप जाइए पत्र मैं आगे भिजवा देता हूं.
विनोद ने यह भी कहा कि हमारा जो काम था वो किया, भारत रत्न मिलना या ना मिलना भगवान के हाथ में है. विनोद का कहना है कि मेरे पास पहले राष्ट्रपति भवन से भी फोन आया था और कहा गया कि आप अवॉर्ड के लायक नहीं है. आप में कोई योग्यता नहीं है. इसलिए आप दोबारा भारत रत्न पुरस्कार की मांग ना करें. फिलहाल, मामला मीडिया में आने के बाद अब जिले अधिकारियों का कहना है कि विनोद पर कार्रवाई भी हो सकती है.
कौन है विनोद?
बताया जा रहा है कि विनोद ई-रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण कर रहा था. उसके दो बेटे हैं. कुछ महीने पहले उसका रिक्शा चोरी हो गया था. इसके बाद वह एक कथावाचक का ड्राइवर बन गया. उन्हीं के साथ पूजा-पाठ और साधना आदि करने लगा. इसी बीच उसने दावा कर दिया कि साधना के दौरान उसके अंर्तमन से आवाज आई कि वह जो कर रहा है, उसके लिए उसे भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए.
कथित तौर पर विनोद के भारत रत्न वाले मांग पत्र को कार्रवाई के लिए गोरखपुर के डीएम को भेजा गया. इस पर डीएम की मोहर लगी नजर आ रही है. इसके बाद पत्र डीएम, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एडीएम सदर, तहसीलदार सदर, सीडीओ के हस्ताक्षर और साइन के साथ आगे बढ़ा दिया गया. फिलहाल, अधिकारी इसपर बोलने से बच रहे हैं. हालांकि, सोशल मीडिया पर ये काफी वायरल हो रहा है.
क्या कहना है अधिकारियों का?
गौरतलब है कि वायरल हुई इस चिट्ठी में कई बड़े अधिकारियों के कार्यालय के स्टाम्प और हस्ताक्षर हैं, जिसके बाद ये सवाल उठने लगा कि कैसे इस चिट्ठी पर कोई अधिकारी अपना समय दे सकता है. इस बाबत जब सीडीओ गोरखपुर संजय कुमार मीना से संपर्क साधा गया तो उन्होंने कहा कि चिट्ठी हमारे कार्यालय में आने के बाद उसे मार्क करके जांच के लिए आगे बढ़ाया जाता है. ठीक वही हम सब ने किया. बाकी चिट्ठी की पड़ताल चल रही है.
गजेंद्र त्रिपाठी / रवि गुप्ता