Manjamma Jogati: सड़कों पर पैसे मांगने से पद्मश्री तक, कौन हैं राष्ट्रपति को 'दुआएं' देने वाली ट्रांसजेंडर मंजम्मा?

पद्म श्री (Padma Shri) पुरस्कार लेते वक्त मंजम्मा (Manjamma Jogati) ने अनोखे अंदाज में राष्ट्रपति का अभिवादन किया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो रहा है.

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Photo: Manjamma Jogati Photo: Manjamma Jogati

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 10 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:49 PM IST
  • मंजम्मा जोगाती ट्रांसजेंडर समुदाय से हैं
  • अनोखे अंदाज में लिया पद्म श्री

ट्रांसजेंडर लोक नर्तकी (Transgender Folk Dancer) मंजम्मा जोगाती (Matha B Manjamma Jogati) को पद्म श्री (Padma Shri) पुरस्कार से नवाजा गया. कला, लोकनृत्य के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने उन्हें सम्मानित किया. पुरस्कार लेते वक्त मंजम्मा ने अनोखे अंदाज में राष्ट्रपति का अभिवादन किया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया वायरल (Manjamma Video) हो रहा है. आइए जानते हैं कहानी मंजम्मा जोगाती की... 

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मंजम्मा जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपना पद्म श्री लेने पहुंचीं तो उनका अलग ही अंदाज देखने को मिला. उन्होंने अपने ही स्टाइल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दुआएं दीं. जिसे देखकर दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. इस दौरान पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत कई हस्तियां मौजूद रहीं. 

कौन हैं मंजम्मा जोगाती? 

मंजम्मा का जन्म कर्नाटक के बेल्लारी जिले में मंजुनाथ शेट्टी के रूप में हुआ था. उन्होंने ने 10वीं तक पढ़ाई की है. अपनी जीवन यात्रा को साझा करते हुए, मंजम्मा ने कहा कि मैंने 15 साल की उम्र में खुद को एक महिला के रूप में पहचानना शुरू कर दिया था. जब मैंने अपनी किशोरावस्था में एक लड़की की तरह व्यवहार करना शुरू किया, तो माता-पिता मंदिर में ले गए और एक अनुष्ठान करवाया गया. तभी से मंजुनाथ शेट्टी मंजम्मा बन गईं और फिर कभी घर नहीं लौटी.

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शुरुआत में झेलीं मुश्किलें

हालांकि, मंजम्मा ने शुरुआत में बहुत मुश्किलें झेलीं. उन्होंने सड़कों पर पैसे मांगकर गुजारा किया. उन्हें शोषण भी झेलना पड़ा. लेकिन बाद में उनकी मुलाकात कल्लव जोगाती से हुई, जिनसे मंजम्मा ने लोकनृत्य सीखा और पूरे राज्य में प्रदर्शन करना शुरू किया.

कल्लव की मृत्यु के बाद, उन्होंने इस परंपरा को आगे बढ़ाया, जो अभी तक जारी है. मंजम्मा कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष भी बनीं, जो कि एक सरकारी निकाय है. कला के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया.  

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