संजय सिन्हा आज आशा साहनी की कहानी सुना रहे हैं कि कैसे जब उनका पुत्र ऋतुराज जब उनके घर पहुंचे तो उन्हें अपनी मां के बजाय मां का कंकाल मिला. वे आज इस महानगरीय और न्यूक्लियर परिवार के बीच उस व्यस्तता और प्राथमिकता की कहानी बयां कर रहे हैं जहां संतानों के पास अपने मां-बाप के लिए समय नहीं होता. वे परवीन बॉबी का जिक्र कर रहे हैं कि कैसे किसी जमाने की मशहूर अदाकारा अपने अंतिम दिनों में नितांत अकेली हो गईं थीं. देखें पूरी कहानी...