Budget 2024-2025 को मंगलवार को पेश किया, जहां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़े-बड़े ऐलान किए. सरकार ने केंद्रीय बजट के दौरान साइबर सिक्योरिटी और AI प्रोजेक्ट्स के लिए 1,550 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है. सरकार इससे साइबर सिक्योरिटी के लिए मजबूत सिस्टम को तैयार करेगी, यूजर्स के डेटा को प्रोटेक्ट करेगी और भारत में AI रिसर्च को आगे बढ़ाएगी.
सरकार का यह बजट जल्द ही सभी मंत्रालय, विभाग और एजेंसियों के लिए जारी कर दिया जाएगा. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस डिपार्टमेंट को कितना बजट मिला है. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.
साइबर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट्स के लिए जारी होने वाली रकम 90 पर्सेंट तक बढ़ा दी है, जो 759 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. साइबर सिक्योरिटी में होने वाली घटनाओं से आम लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार की एक नोडल एजेंसी 'द इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पोंस टीम' (CERT-In) है, जिसे 238 करोड़ रुपये दिए हैं.
सरकार ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर क्राइम से उन्हें बचाने के लिए 52.8 करोड़ रुपये जारी किए हैं. डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया को 2 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है. इसका गठन डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के तहत किया जाएगा.
IndiaAI Mission की शुरुआत मार्च 2024 में की गई थी, जिसका उद्देश्य एक मजबूत AI ईकोसिस्टम तैयार करना है. इसके लिए 551 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इस साल मार्च में केंद्रीय केबिनेट ने IndiaAI Mission के लिए आने वाले 5 सालों में के लिए 10,300 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा दे रखी है.
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कुल मिलाकर देखें तो साइबर सिक्योरिटी और AI इनोवेशन के लिए बजट बीते साल की तुलना में 84 पर्सेंट तक ज्यादा हो गया है. अब यह रकम 840 करोड़ रुपये हो गई है. इसके अलावा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन AI के लिए 255 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. यह AI और मशीन लर्निंग के लिए है. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस IIT खड़गपुर में स्थित है.
भारत में साइबर हमलों की संख्या में बीते पांच सालों के दौरान तेजी से उछाल देखा गया है. होम मिनिस्ट्री के नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर इसल साल जनवरी से मई तक 7 हजार कंप्लेंट डेली दर्ज की जाती हैं. इसमें 85 पर्सेंट कंप्लेंट ऑनलाइन साइबर फ्रॉड से जुड़ी हैं.
बीते पांच साल के दौरान साइबर कंप्लेंट की संख्या में इजाफा देखा गया है मई 2024, तक पोर्टल पर 7.4 लाख कंप्लेंट दर्ज हो चुकी हैं, जो साइबर क्राइम से संबंधित हैं. साल 2019 में यह संख्या करीब 26,000 थी. वहीं 2020 में यह 2.5 लाख, 2021 में यह संख्या 4.5 लाख, 2022 में यह संख्या 9.5 लाख और 2023 में यह संख्या 15.5 लाख थी.
इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (I4C), केंद्रीय गृह मंत्रालय की नोडल एजेंसी है, जो साइबर क्राइम से निटपने के लिए लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को ईकोसिस्टम प्रोवाइड कराती है. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने इंडिया टुडे से बातचीत में बताया है कि अभी तक केंद्र सरकारी ने I4C के लिए जारी होने वाले अमाउंट की जानकारी नहीं दी है. सूत्रों ने कहा है कि I4C अब एक Attached Office होगा. ऐसे में इस एजेंसी को ज्यादा पावर मिलेगी.
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साइबर अटैक की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, I4C एजेंसी ने बताया कि इस साल जनवरी से अप्रैल तक 4,599 कंप्लेंट डिजिटल फ्रॉड से जुड़ी थीं. इसमें 1,203 करोड़ रुपये की ठगी शामिल थी. साइबर ठग आमतौर पर लोगों को चूना लगाने के लिए अलग-अलग तरकीब का इस्तेमाल करते हैं. इसमें फेक ड्रेडिंग ऐप्स, लोन ऐप्स, गेमिंग ऐप्स, डेटिंग ऐप्स और भी कई तरीके हैं.
साइबर सिक्योरिटी पर सबसे ज्यादा खर्चा अमेरिका सरकार करती है, जो 1.079 ट्रिलियन रुपये है, जिसका मकसद आम लोगों को साइबर अटैक से बचाना है. वहीं, ब्रिटेन करीब 8,667 करोड़ रुपये और 515 करोड़ रुपये इस साल जारी किए हैं.
शुभम तिवारी / जैनम शाह