महाराष्ट्र के बीजेपी एमएलए नरेंद्र मेहता की पत्नी ने 5 करोड़ की लैंबोर्गिनी से सामने खड़े ऑटो वाले को टक्कर मार दी. उन्हें यह कार उनके पति ने गिफ्ट में दी थी. नरेंद्र मेहता ने इस घटना के बाद सफाई देते हुए कहा है कि उनकी पत्नी के पास 18 साल कार ड्राइव करने का एक्सपीरिएंस है और उन्होंने ऑडी जैसी इंपोर्टेड कार भी चलाई हैं. लेकिन 18 साल का ड्राइविंग एक्सपीरिएंस और ऑडी कार चलाना लैंबोर्गिनी चलाने के लिए काफी नहीं है. पहली बार लैंबोर्गिनी चलाना काफी अलग अनुभव है इसके लिए खास ध्यान देने के जरूरत होती है. क्योंकि लैंबोर्गिनी कार दुनिया की सबसे तेज और सबसे महंगी कारों में से एक है और इसे स्टार्ट करते ही जहाज चलाने जैसा अनुभव होता है. जानें इसे भारत की सड़कों पर चलाना क्यों नहीं है आसान.
1. यह दूसरी कारों से फास्ट है और यह महज 3 सेकंड्स में 97 किलोमीटर प्रति घंटे रफ्तार पकड़ लेती है. भारत में ट्रैफिक की स्थिति बदतर है ऐसे में यहां इसे चलाना खतरे से खाली नहीं.
2. इसकी टॉप स्पीड 350 किलोमीटर होती है और ऐसी स्पीड अमूमन दूसरी कारों में नहीं मिलती.
3. साधारण कारों में तीन लीटर वाला इंजन होता है और हॉर्स पावर लगभग 150 तक, लेकिन लैंबोर्गिनी का इंजन 5.2 लीटर से शुरू होता है और इसमें मैक्सिमम 750hp होता है. यानी आम कारों से पांच गुना ज्यादा. ऐसे में इसकी एक्सलरेशन काफी ज्यादा होती है.
4. भारतीय सड़कों पर इसे चलाना सबसे मुश्किल माना जाता है. इसका ग्राउंड क्लीयरेंस काफी कम होता है. छोटे गड्ढे भी चलाने वाले को महसूस होते हैं. इसके टायर भी पंक्चर होने की उम्मीद रहती है.
5. इस कार के लिए अमेरिका और चीन सबसे बड़े बाजार हैं. इन देशों में रोड की स्थिति भारत से काफी बेहतर है. यहां के लैंबोर्गिनी यूजर इसे टॉप स्पीड पर भगा सकते हैं. ज्यादातर स्पोर्ट्स कार ड्राइवर्स का मानना है कि इस कार का असली मजा स्पीड में ही है.
6. इस कार की स्टीयरिंग काफी स्मूथ होती है.
7. भारत के मेट्रो सिटीज में ये 3 किलोमीटर प्रति लीटर की माइलेज देती है, जबकि हाईवे पर 5 किलोमीटर प्रति लीटर.
8. किसी दूसरी कार के बाद आप पहली बार लैंबोर्गिनी चलाने वाले हैं तो आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. इसे स्टार्ट करते ही तेज आवाज निकलती है जिससे आप थोड़ा परेशान हो सकते हैं.
9. इसमें फोर व्हील ड्राइव (4WD)होता है. कार को स्टार्ट करते ही इसके चारों चक्के लूज होते हैं और आगे की ओर बढ़ते हैं. जबकि आम कारें टू व्हील ड्राइव (2WD) बेस्ड होती हैं.
10. एक भारतीय लैंबोर्गिनी यूजर के मुताबिक उन्होंने पहली बार अपने पिता को इसकी सवारी उन्हें ब्लड प्रेशर लो करने की दवा खिलाकर कराई थी.
11. भारत में लैंबोर्गिनी जैसी कारें काफी कम हैं, ऐसे में सड़कों पर लैंबोर्गिनी देखने के चक्कर में भी किसी हादसे का खतरा हमेशा बना रहता है.
मुन्ज़िर अहमद