आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एलजी पॉलीमर्स कंपनी की फैक्ट्री से गैस रिसाव के हादसे को लेकर पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह डॉ. ईएएस सरमा ने मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में भारत सरकार में वित्त सचिव रह चुके सरमा ने ‘राजनेता-अधिकारी-उद्योग’ के गठजोड़ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
हादसे में 11 लोगों की मौत
गुरुवार तड़के स्टाइरीन गैस के रिसाव से जुड़े हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग प्रभावित हुए थे. सरमा ने चिट्ठी में सवाल किया है कि आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (APPCB) ने 2019 के शुरू में इस यूनिट के विस्तार के लिए स्थापना और ऑपरेशन संबधी मंजूरी कैसे दी? उनके मुताबिक, APPCB ने स्पष्ट रूप से इस संबंध में राज्य सरकार से या केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से क्लीयरेंस नहीं ली.
पूर्व IAS अधिकारी सरमा ने यह भी कहा कि यूनिट बहुत प्रदूषणकारी है और रिहाइशी क्षेत्र के करीब है, ऐसे में APPCB को इसे अपने ऑपरेशंस के विस्तार की इजाजत नहीं देनी चाहिए थी.
प्रमोटर पर नहीं चला मुकदमा
सरमा ने तटीय शहर में अतीत में हुए हादसों का भी हवाला दिया. उन्होंने चिट्ठी में लिखा, ''विशाखापट्टनम के बाहरी इलाके में होने वाला यह पहला औद्योगिक हादसा नहीं है. पूर्व में लगभग 30 से 40 दुर्घटनाएं हुईं जिनमें कई मजदूरों और नागरिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. लेकिन कभी किसी प्रमोटर पर मुकदमा नहीं चला और राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी को दंडित नहीं किया गया.''
साठगांठ का लगाया आरोप
सरमा ने प्रदूषणकारी उद्योगों के प्रमोटर्स और अधिकारियों के बीच साठगांठ का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘'अगर प्रमोटर्स को अलग-अलग राजनेताओं से समर्थन मिला हो तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा.” सरमा ने चिट्ठी में लिखा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हादसा ऐसे समय में हुआ जब जिला प्रशासन Covid-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में जुटा है.
दक्षिण कोरियाई की कंपनी
पूर्व वित्त सचिव ने लिखा, “एलजी पॉलिमर एक दक्षिण कोरियाई कंपनी है, जिसे लगातार अल-अलग सरकारों से खास लगाव मिलता रहा है. ये यूनिट सरकारी सीलिंग सरप्लस जमीन पर खड़ी है और इसका मूल्य सैकड़ों करोड़ रुपये में है. सरकार ने जमीन वापस लेने की कोशिश की थी तो इस कंपनी ने सरकार को मुकदमेबाजी में घसीटा था. इसके बावजूद APPCB ने इसे 2019 की शुरुआत में विस्तार के लिए हरी झंडी कैसे दिखाई?”
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सरमा ने ये भी ध्यान दिलाया, “जब हाल ही में लॉकडाउन का पहला चरण समाप्त हुआ, तो एलजी पॉलीमर को एनओसी इस आधार पर दी गई कि यह "आवश्यक" उद्योग है. कल्पना में भी नही सोचा जा सकता कि इस तरह की एक प्लास्टिक निर्माण इकाई को "आवश्यक" कहा जा सकता है. इस चूक के लिए सरकार के किसी वरिष्ठ को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.”
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सरमा ने मुख्यमंत्री से मांग की कि वे एलजी पॉलिमर्स के प्रमोटर्स और वरिष्ठ प्रबंधकों के खिलाफ तत्काल मुकदमे के लिए अपने अधिकारियों को निर्देश दें. साथ ही ऐसी औद्योगिक इकाई के संचालन और पुनः निर्माण की अनुमति देने के लिए APPCB और औद्योगिक सुरक्षा विंग के अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जाए.
सरमा के मुताबिक, बड़ा सवाल ये है कि भारत में काम करने वाली एक विदेशी कंपनी ने इतने लापरवाह ढंग से अपने ऑपरेशंस को कैसे अंजाम दिया.
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आशीष पांडेय