52 साल बाद भी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत रहस्य बनी हुई है. आरटीआई कार्यकर्ता रोहित चौधरी ने शास्त्री की मौत को लेकर कई खुलासे किए हैं. उनके द्वारा लगाई गई आरटीआई के जवाब में शास्त्री के मेडिकल रिपोर्ट से चौकाने वाली बातें सामने आई हैं.
रोहित ने बताया कि उन्होंने पूर्व पीएम शास्त्री की मौत की जांच की रिपोर्ट को लेकर आरटीआई लगाई जिसके जवाब में पाया कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री मरने से 30 मिनट पहले तक बिलकुल ठीक थे. 15 से 20 मिनट में तबियत खराब हुई और उनकी मौत हो गई.
इसमें कहा गया है कि शास्त्री की मौत के बाद उनके डेड बॉडी का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था. आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक, शास्त्री 10 जनवरी 1966 की रात 12.30 बजे तक बिलकुल ठीक थे. इसके बाद अचानक उनकी तबियत खराब हुई, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने डॉक्टर को बुलाया.
डॉक्टर आरएन चग ने पाया कि शास्त्री की सांसें तेज चल रही थीं और वो अपने बेड पर छाती को पकड़कर बैठे थे. इसके बाद डॉक्टर ने इंट्रा मस्कूलर इंजेक्शन दिया. इंजेक्शन देने के तीन मिनट के बाद शास्त्री का शरीर शांत होने लगा. सांस की रफ्तार धीमी पड़ गई. इसके बाद सोवियत डॉक्टर को बुलाया गया. इससे पहले कि सोवियत डॉक्टर इलाज शुरू करते रात 1.32 बजे शास्त्री की मौत हो गई.
आरटीआई कार्यकर्ता ने सवाल किया कि पूर्व पीएम शास्त्री की मौत की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया, उसे गुप्त क्यों रखा गया. जबकि, शास्त्री का परिवार भी इसके बारे में जानना चाहता है. यहां तक कि उनके पोते ने भी मौत के कारणों को जानने के लिए इसकी मांग की थी.
उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी ललीता शास्त्री ने दावा किया कि उनके पति को जहर देकर मारा गया. उनके बेटे सुनील शास्त्री ने सवाल ने कहा था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे. साथ ही उनके शरीर पर कुछ कट भी थे.
बता दें कि शास्त्री की मौत 11 जनवरी 1966 को हुई थी. इससे पहले वो पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग को खत्म करने के लिए वह समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे. 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को तड़के 1.32 बजे अचानक मौत हो गई.
हालांकि, आधिकारिक तौर पर कहा जाता रहा है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. शास्त्री को ह्दय संबंधी बीमारी पहले से थी और 1959 में उन्हें एक हार्ट अटैक आया भी था. इसके बाद उन पर उनके परिजन और दोस्त उन्हें कम काम करने की सलाह देते थे. लेकिन 9 जून, 1964 को देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद उन पर काम का दबाव बढ़ता ही चला गया.
भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में अप्रैल से 23 सितंबर के बीच 6 महीने तक युद्ध चला. युद्ध खत्म होने के 4 महीने बाद जनवरी, 1966 में दोनों देशों के शीर्ष नेता तब के रूसी क्षेत्र में आने वाले ताशकंद में शांति समझौते के लिए रवाना हुए. पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति अयूब खान वहां गए. 10 जनवरी को दोनों देशों के बीच शांति समझौता भी हो गया. इसके बाद उनकी मौत हो गई.
अजीत तिवारी / अश्विनी कुमार