मुकम्मल गैर-कांग्रेसी नेता राम मनोहर लोहिया

उन्होंने आधुनिक हिंदुस्तान में सियासी कार्रवाई का मॉडल नए सिरे से खड़ा करने के लिए राम, कृष्ण और शिव से प्रेरणा और ताकत ली. उन्होंने द्रोपदी को भारतीय नारी का आदर्श माना.

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राम मनोहर लोहिया राम मनोहर लोहिया

मंजीत ठाकुर

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  • 25 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST

आधुनिक भारत के निर्माता/ गणतंत्र दिवस विशेष

आज जब हम हिंदुस्तानी राष्ट्रवाद को अगवा करने की सबसे धूर्त कोशिशों से दो-चार हैं, राम मनोहर लोहिया की सांस्कृतिक सियासत पहले किसी भी वक्त से आज कहीं ज्यादा प्रासंगिक है. लोहिया कहते थे कि ''राजनीति अल्पकालिक धर्म है और धर्म दीर्घकालिक राजनीति है. ''

उनका यह सूत्र ऐसे दरवाजे खोल देता है जिनसे सियासत को नए सिरे से गढऩे के लिए हिंदूवाद और दूसरी धार्मिक परंपराओं से ताकत ली जा सकती है. लोहिया ने हिंदू धर्म के सांस्कृतिक विचारों और रामायण तथा महाभारत सरीखे शास्त्रों के समकालीन संदेश में जान फूंकी. उन्होंने आधुनिक हिंदुस्तान में सियासी कार्रवाई का मॉडल नए सिरे से खड़ा करने के लिए राम, कृष्ण और शिव से प्रेरणा और ताकत ली. उन्होंने द्रोपदी को भारतीय नारी का आदर्श माना.

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वे सियासत को हिंदुस्तानी लोगों के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के औजार के तौर पर, सांस्कृतिक आत्मविश्वास के निर्माण के एजेंट के तौर पर देखते थे. लोहिया को पढऩा हुसैन के विशाल कैनवस को देखने की तरह है. शायद यही वजह है कि लोहिया ने अपने जमाने के राजनीति विज्ञानियों से ज्यादा रचनात्मक दिमागों को छुआ. उन्होंने हुसैन और जे. स्वामीनाथन सरीखे पेंटरों, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और रघुवीर सहाय सरीखे कवियों और यू.आर. अनंतमूर्ति तथा देवानुर महादेव सरीखे उपन्यासकारों को प्रेरित किया. लोहिया 20वीं सदी के आखिरी महान आधुनिक भारतीय राजनैतिक विचारक थे.

(लेखक चुनाव विश्लेषक और स्वराज अभियान के सह-संस्थापक हैं)

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