आधुनिक भारत के निर्माता/ गणतंत्र दिवस विशेष
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले 10 साल के दौरान अर्थव्यवस्था दो वैश्विक संकटों को पार कर गई—एक 2008 में और दूसरा 2011 में. और इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद लेने की जरूरत नहीं पड़ी और आर्थिक सुस्ती के दो सालों के बावजूद न केवल विकास दर का उनका प्रदर्शन प्रभावशाली रहा बल्कि गरीबी में भी अभूतपूर्व गिरावट आई. हालांकि इस दौरान भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद बढऩे की धारणा बनी जो कि साफ तौर पर कमजोर कड़ी रही.
डॉ. सिंह की स्वीकारोक्ति भी सामने आई जब यूपीए-2 के कार्यकाल के दौरान एक वरिष्ठ संपादक ने उनसे पूछा कि आपकी सबसे बड़ी विफलता क्या रही. इसके जवाब में उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन का नाम लिया. प्रधानमंत्री पद से हटने के कुछ दिन पहले उनका यह कथन काफी चर्चा में रहा-''इतिहास मेरा आकलन ज्यादा दयापूर्वक करेगा.'' मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि वे सही हैं. लेकिन मैं यह कहने की छूट लेता हूं कि यहां दरअसल उन्होंने विंस्टन चर्चिल के कथन का उल्लेख किया.पूरा कथन थाः ''इतिहास मुझ पर दया करेगा इसलिए कि मैं इसे रचने का इरादा रखता हूं''. मेरी इच्छा है वे चर्चिल की किताब से उद्धरण ले लें और हमें ये बता दें कि जब वे ''गठबंधन की राजनीति की बाध्यताएं'' वाला बयान देते थे तब असल में क्या हुआ था और उनके पास कौन से विकल्प मौजूद थे.
(लेखक योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष हैं)
मंजीत ठाकुर