स्विस बैंक में सामने नहीं आ रहे खातों के दावेदार, खत्म हो रही मियाद

स्विस बैंकों में भारतीयों के कम से कम 10 खातों के दावेदार नहीं मिल रहे. इन खातों में जमा रकम के स्विट्जरलैंड सरकार को हस्तांतरित होने का खतरा मंडराने लगा है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भारतीयों के इन निष्क्रिय स्विस बैंक खातों के लिए पिछले छह साल में कोई दावेदार आगे नहीं आया है, जिससे इन खातों में जमा धन के स्विट्जरलैंड सरकार को हस्तांतरित होने का खतरा है.

Advertisement
प्रतीकात्मक चित्र (PTI) प्रतीकात्मक चित्र (PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

  • निष्क्रिय पड़े हैं 10 से अधिक भारतीयों के खाते
  • छह साल में सामने नहीं आया कोई दावेदार

स्विस बैंकों में जमा काला धन के मामले ने 2014 के आम चुनाव से पहले तूल पकड़ा था. भारतीय जनता पार्टी ने इसे लेकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाए थे. अब स्विस बैंकों में भारतीयों के कम से कम 10 खातों के दावेदार नहीं मिल रहे. इन खातों में जमा रकम के स्विट्जरलैंड सरकार को हस्तांतरित होने का खतरा मंडराने लगा है.

Advertisement

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भारतीयों के इन निष्क्रिय स्विस बैंक खातों के लिए पिछले छह साल में कोई दावेदार आगे नहीं आया है, जिससे इन खातों में जमा धन के स्विट्जरलैंड सरकार को हस्तांतरित होने का खतरा है. बताया जाता है कि इन खातों में करोड़ों रुपये की रकम जमा है. कुछ खातों के लिए दावे की समयसीमा अगले महीने और शेष खातों की अगले साल दिसंबर में समाप्त हो रही है. तय सीमा के अंदर दावेदारी और विवरण नहीं सौंपने पर इन खातों की रकम स्विट्जरलैंड सरकार को ट्रांसफर हो सकती है.

ये हैं खातेदार

निष्क्रिय पड़े खातों में दो खाताधारक कोलकाता, एक देहरादून और दो खाताधारक मुंबई के हैं. चंद्रलता प्राणलाल पटेल, मोहन लाल और किशोर लाल के खातों पर दावा करने की मियाद दिसंबर में समाप्त हो रही है. वहीं मुंबई निवासी खाताधारक रोजमैरी बर्नेट और पियरे वाचेक, देहरादून निवासी चंद्र बहादुर सिंह और योगेश प्रभुदास सुचाह के खातों के लिए दावेदारी करने की समयसीमा दिसंबर 2020 तक है. योगेश का आखिरी आवासीय पता लंदन का दर्ज है. अन्य खाताधारक लीला तालुकदार और प्रमाता एन तालुकदार हैं.

Advertisement

पाकिस्तानियों ने किया दावा

गौरतलब है कि स्विस सरकार ने 2015 में बैंकों के निष्क्रिय खातों की जानकारी सार्वजनिक करना शुरू किया था, जिससे खातेदारों के दावेदारों को आवश्यक कागजात जमा करने पर उनकी धनराशि प्रदान की जा सके. अब तक बंद पड़े 3500 खातों में करीब 300 करोड़ रुपये जमा होने की जानकारी मिली है. इनमें ब्रिटिश शासन काल के दौरान के भी भारतीयों से जुड़े कुछ खाते शामिल हैं. दूसरी तरफ पाकिस्तान के निवासियों से जुड़े कुछ खाते भी थे. इनके लिए दावेदारों ने दावा किया है. स्विट्जरलैंड समेत कई अन्य देशों के निष्क्रिय पड़े खातों के दावेदारों ने भी दावे किए हैं.

सूची में थे 26 सौ निष्क्रिय खाते

स्विट्जरलैंड की सरकार की ओर से सार्वजनिक की गई निष्क्रिय खातों की इस सूची में 26 सौ खाते शामिल थे. इन खातों में सन 1955 के बाद से लगभग 45 मिलियन स्विस फ्रैंक (300 करोड़ रुपये से अधिक) लावारिस पड़े थे. स्विस बैंकिंग कानूनों के तहत निष्क्रिय होने के बाद से हर साल और अधिक खाते जोड़े जा रहे हैं और अब सूची में लगभग 3500 खाते शामिल हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement