सुधीर मिश्रा बोले- चाहत, पावर और लत की कहानी है 'दास देव'

हजारों ख्वाहिशें ऐसी, ये साली जिंदगी और इनकार जैसी फिल्में बनाने सुधीर मिश्रा अब अपनी फिल्म 'दास देव' के साथ दर्शकों के बीच लौट रहे हैं. उन्होंने अपनी इस फिल्म पर बात की.

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सुधीर मिश्रा सुधीर मिश्रा

महेन्द्र गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

हजारों ख्वाहिशें ऐसी, ये साली जिंदगी और इनकार जैसी फिल्में बनाने सुधीर मिश्रा अब अपनी फिल्म 'दास देव' के साथ दर्शकों के बीच लौट रहे हैं.  ये फिल्म 27 अप्रैल को रिलीज होगी. इस फिल्म में राहुल भट्ट, रिचा चड्ढा और अदिति राव हैदरी नजर आएंगे. सुधीर मिश्रा ने अपनी फिल्म को लेकर इंडिया टुडे से खास बातचीत की.

सवाल: क्या शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के क्लासिक ने आपको आकर्ष‍ित किया. आप लंबे समय से देवदास पर फिल्म बनाने चाहते थे. ये भी कहा जाता है कि आप 'और देवदास' बनाना चाहते थे, लेकिन देव डी बनने के बाद नहीं बनाई?

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सुधीर मिश्रा: देवदास में देव का कैरेक्टर मुझे आकर्ष‍ित करता रहा है. लेकिन ये लवस्टोरी से  भी आगे है. ये एक तरह का सामाजिक संरचना हो बताता है, जिसमें प्यार नामुमकिन है. खासकर उस समय की महिलाओं के लिए. ये सही है कि जब अनुराग देव डी बना रहे थे, तब मैं इस नॉवल को एडेप्ट करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन तभी कुछ आइडिया मेरे दिमाग में आए और सब कुछ बदल गया. ये मुझे शेक्सपीयर के हेमलेट के करीब लगा. मेरे दिमाग में शेक्सपीयर घूमने लगा. मैंने सोचा कि क्यों न मेरी फिल्म चंद्रमुखी नरेट करे.

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सवाल: :ये सही है कि दास देव ही देवदास है. जो कि पावर के लिए महत्वाकांक्षी है. आपने बैकग्राउंड में उत्तर प्रदेश की पॉलिटिक्स ली है. ये एंगल लेना क्यों उचित लगा?

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सुधीर मिश्रा:जो राजनीति पर्सनल लाइफ को प्रभावित करती है, वो मुझे हमेशा दिलचस्प लगी. जब मेरे दिमाग में ये एंगल आया तो मैंने सीरियली इस बारे में सोचना शुरू कर दिया. यदि देवदास देव की स्टोरी है, जो दास बन जाता है तो इसका मतलब है कि वह कुलीन है और लत का शिकार हो जाता है. उसके अपने पाप हैं. ऐसे में मेरे दिमाग में आया कि देव किस तरह अपने आप को दास बनने से बचाता है. एक आदमी जो पहले शराब का आदी था फिर पावर का आदी हुआ और किस तरह पावरफुल आदमी देव है. ये स्टोरी चाहत, पावर और लत की है. हां, ये सही है कि ये आज के दिनों की यूपी की पॉलिटिक्स पर है, लेकिन ये कहीं की भी पॉलिटिक्स पर हो सकती है.

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सवाल: : प्रतीश नंदी ने आपसे 'साहब, बीवी और गुलाम' की रीमेक बनाने के बारे में बात की थी. लेकिन ये आप इस आइडिया को आगे नहीं ले गए. ऐसा क्यों?

सुधीर मिश्रा: हां, ये बेहतरीन फिल्म है. जब मैं इस बारे में सोचता हूं तो लगता है कि ये इससे बेहतर किसी अन्य तरह से नहीं बन सकती.  इसलिए मैं इसे छोड़ देता हूं. यदि मुझे लगा कि इसे किसी और तरह से किया जा सकता है तो जरूर करूंगा. लेकिन जिस तरह गुरु दत्त ने इसे बनाया, उस तरह मिमिक नहीं बना सकता.

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