बच्चों ने नहीं देखी थी ट्रेन, टीचर ने स्कूल को ही बना दिया रेलगाड़ी

बच्चों ने नहीं देखी थी ट्रेन, टीचर ने स्कूल को ही बना दिया रेलगाड़ी

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फोटोः आशीष मिश्र फोटोः आशीष मिश्र

आशीष मिश्र

  • लखनऊ,
  • 17 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:25 PM IST

यूपी के पिछड़े जिले में शुमार संत कबीर नगर रेलवे स्टेशन से करीब नौ किलोमीटर दूर प्रसिद्ध तामेश्वरनाथ मंदिर है. इस मंदिर के मुख्य द्वार से आगे बढऩे पर तामेश्वरनाथ पुलिस स्टेशन पड़ता है. इसके बगल दाहिनी ओर एक संकरी गली में डेढ़ किलामीटर चलने के बाद अचानक आपको ‘प्राथमिक विद्यालय मंझरिया रेलवे स्टेशन, जनपद संत कबीर नगर’ दिखाई पड़ता है. प्लेटफार्म पर एक नीले रंग की एक्सप्रेस ट्रेन भी खड़ी है. 

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आप हैरत में पड़ जाएंगे कि बांस के जंगलों के आसपास रेल की पटरियां न होने के बावजूद वहां ट्रेन कैसे खड़ी है? 

ट्रेन के करीब जाकर बोगी की खिड़कियों से भीतर झांकते ही पूरा माजरा समझ में आ जाता है. यहां एक क्लास में बच्चे पढ़ते मिलते हैं. यह संत कबीर नगर में बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत ग्राम सभा मैनसिर के मंझरिया गांव में चल रहा प्राइमरी स्कूल है. कभी इस उपेक्षित पड़े स्कूल में बच्चे पढऩे आने से कतराते थे लेकिन आज यहां आसपास के गांव के बच्चों की भरमार है. 

इस बदलाव की नींव पड़ी अक्टूबर में स्कूल की दीपावली की छुट्टियों में. स्कूल में बतौर शिक्षक तैनात अनीता जयसिंह, 39 शिक्षा विभाग से अनुमति लेकर अपने प्राइमरी स्कूल का जीर्णोद्धार कर रंगरोगन करने की तैयारी कर रही थीं. लेकिन उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा था कि स्कूल को क्या आकार दिया जाए? 

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इसी दौरान स्कूल के बच्चों ने बातचीत में बताया कि उन्होंने केवल किताबों और चित्रों में ही ट्रेन देखी है और असलियत में कभी नहीं देखी. 

अनीता बताती हैं ‘मैं नासा या इसरो के नाम पर स्कूल का नामकरण करना चाहती थी उस वक्त ‘मिशन मंगल’ फिल्म भी आई थी लेकिन बच्चों ने कहा मैम क्या आप ट्रेन बनाओगे? हम लोग कभी ट्रेन पर नहीं बैठे हैं. यहीं से मुझे स्कूल के भवन को एक ट्रेन की शक्ल में तैयार करने का आइडिया मिला.’ 

विभाग से स्कूल के जीर्णोद्धार के लिए जो बजट मिला था वह स्कूल के बच्चों के सपने को आकार देने में आने वाले खर्च से कम था.

अनीता मूलत: सूरत की रहने वाली हैं और वर्ष 2011 में इनका विवाह संत कबीर नगर के मंझरिया इलाके में छोटा सा व्यवसाय करने वाले जय प्रकाश सिंह से हुआ था. पढऩे में काफी मेधावी अनीता ने अंग्रेजी में हायर नेशनल सर्टिफिकेट हासिल किया है. 

अनीता ने बीटीसी किया और वर्ष 2014 में प्राइमरी स्कूल मंझरिया में टीचर की नौकरी शुरू हुई. स्कूल में तैनाती के बाद से अनीता अपनी सैलरी का एक हिस्सा प्राइमरी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों पर खर्च करती हैं. स्कूल को एक ट्रेन की शक्ल में ढालने में अनीता के पति ने जय प्रकाश सिंह ने काफी मदद की. इन्होंने कमरे को रेल के डिब्बे की तरह दिखाने के लिए ड्राइंग बनाई. 

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एक परिचित पेंटर की मदद से सस्ते में दीवारों को पेंट किया गया. कक्षा पांच और चार के कमरे को एसी चेयरकार, कक्षा तीन के कमरे को थ्री टियर एसी, कक्षा एक को फर्स्ट क्लास एसी, कक्षा दो के कमरे को सेकेंड क्लास एसी, ऑफिस के कमरे को इंजीनियर्स रूम की तरह ढाला गया. 

अब हेड मिस्ट्रेस के कमरे को इंजन की तरह दिखाने की तैयारी चल रही है. ट्रेन के इंजन को स्वच्छ भारत एक्सप्रेस नाम दिया गया है.

अनीता बताती हैं ‘एक्सप्रेस का नामकरण स्वच्छ भारत के नाम पर करने की वजह यह है कि पहले स्कूल में बच्चे बहुत गंदे होकर आते थे लेकिन अब जिले के सबसे साफ सुथरे बच्चे हमारे स्कूल के हैं’. 

प्राइमरी स्कूल के किचन को अन्नपूर्णा कक्ष और इसके बगल वाले भूकंप रहित कमरे को लेडीज बोगी की शक्ल में ढाला गया है. अनीता बताती हैं ‘स्थानीय विधायक का सहयोग लेकर हमलोग इस लेडीज बोगी में हर रविवार घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं, विधवा, गरीब लड़कियों को अंग्रेजी या वह विषय पढ़ाएंगे जिसमें वे कमजोर हैं.’ संत कबीर की धरती से शिक्षा, स्वच्छता और महिला सशक्तिकरण की एक नई अलख फूट चुकी है. 

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