नई शिक्षा नीति का समर्थन कर शशि थरूर बोले- कई लक्ष्य सच्चाई से परे, बजट पर चिंता

केंद्र सरकार द्वारा लाई गई शिक्षा नीति ने देश में एक बहस छेड़ दी है. कई एक्सपर्ट्स और नेता इसके बारे में अपना पक्ष रख रहे हैं, इस बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कुछ सवाल उठाए हैं.

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कांग्रेस नेता शशि थरूर कांग्रेस नेता शशि थरूर

आनंद पटेल

  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 8:07 AM IST

  • 34 साल बाद आई देश की नई शिक्षा नीति
  • कई पक्षों ने खड़े किए सवाल, भाषा को लेकर विवाद

मोदी सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति पर देश में बहस जारी है. कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर की ओर से इस नीति पर कई तरह के सवाल खड़े किए गए हैं. कांग्रेस नेता का कहना है कि अब चुनौती होगी जो बातें कही गई हैं उन्हें पूरा किया जाए, क्योंकि कई बार वित्त मंत्रालय की ओर से बजट को लेकर असमर्थता जताई जा चुकी है. शशि थरूर के मुताबिक, नई नीति में काफी बातें अच्छी हैं लेकिन कुछ विषय ऐसे हैं जो चिंता बढ़ाते हैं.

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शशि थरूर की ओर से इससे पहले भी ट्वीट कर शिक्षा नीति का स्वागत किया गया था, उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि इसमें कुछ सुझाव माने गए हैं जो काफी अच्छे हैं. लेकिन सवाल है कि इसे पहले संसद में बहस के लिए क्यों नहीं लाया गया.

ये भी पढ़ें- मोदी सरकार ने बदला HRD मिनिस्ट्री का नाम, नई शिक्षा नीति को भी दी मंजूरी

कांग्रेस सांसद ने लिखा कि मुझे खुशी है कि सरकार ने शिक्षा नीति बदलने का फैसला किया, इसका इंतजार था. लेकिन अभी भी सवाल है कि GDP का 6 फीसदी बजट रखने का जो टारगेट है, वो कैसे पूरा होगा. क्योंकि वित्त मंत्रालय ने लगातार शिक्षा मंत्रालय का बजट घटाया है.

शशि थरूर के मुताबिक, नई नीति में कुछ ऐसे लक्ष्य तय किए गए हैं जो सच्चाई से परे लगते हैं ऐसे में सरकार को उन लक्ष्यों को सामने रखना चाहिए जो वक्त पर पूरा हो सकें. आज सिर्फ हम एक लाख में से 15 रिसर्चर बना पा रहे हैं, जबकि चीन इतनी ही संख्या में 111 बना रहा है. कांग्रेस नेता ने शिक्षा नीति को सही बताते हुए कहा कि असली चुनौती होगी कि आप प्राइवेट क्षेत्र में किस तरह फीस की बढ़ोतरी को रोकते हैं, ताकि गरीब भी पढ़ाई कर सके.

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गौरतलब है कि केंद्र द्वारा लाई गई शिक्षा नीति को लेकर कुछ पक्षों ने सवाल खड़े किए हैं. 34 साल बाद देश में नई शिक्षा नीति आई है, जिसमें कई बदलाव हुए हैं. अब परीक्षाएं तीन बार होंगी, शुरुआती पढ़ाई स्थानीय भाषा में हो सकेगी, पढ़ाई के साथ-साथ स्किल पर जोर दिया जाएगा.

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