Ramayan May 12 Update: श्रीराम के राज्याभिषेक का ऐलान, नाराज मंथरा ने कैकेयी को भड़काया

मंगलवार को रामायण में बड़ी घटना देखने को मिली है जिसके बाद पूरी रूपरेखा बदलने जा रही है. जानिए मंगलवार को रामायण में ऐसा क्या घटित हो गया है जिसके बाद एक नए अध्याय की शुरूआत होगी.

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रामायण के राम और सीता रामायण के राम और सीता

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 13 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:41 AM IST

हर एपिसोड के साथ रामायण को लेकर दर्शकों का उत्साह बढ़ता जा रहा है. कहानी जितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, दर्शकों का रुझान भी बढ़ता दिख रहा है. मंगलवार को रामायण में बड़ी घटना देखने को मिली है जिसके बाद पूरी रूपरेखा बदलने जा रही है.

जब मेनका के चलते विश्वामित्र का टूटा था ध्यान

मंगलवार के एपिसोड में महर्षि विश्वामित्र अयोध्या में राजा दशरथ को बता रहे हैं कि कैसे मेनका ने उनका ध्यान भंग कर दिया था. वो बताते हैं कि मेनका ने नृत्य कर उनके ध्यान को तोड़ दिया था. ये किस्सा बताने के बाद महर्षि विश्वामित्र अयोध्या से प्रस्थान कर लेते हैं लेकिन राजा दशरथ का मन अशांत हो जाता है. वो अब अयोध्या की बागडोर अपने जेष्ठ पुत्र राम को देना चाहते हैं. वो राम को अयोध्या का राजा बनाना चाहते हैं. राज दशरथ अपने इसी विचार के साथ गुरु वशिष्ठ के पास उनके आश्रम जाते हैं. वो गुरु वशिष्ठ को अपने मन की बात बताते हैं जिस पर गुरुदेव उन्हें खुले मन से फैसला लेने के लिए कहते हैं.

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श्रीराम बनेंगे अयोध्या के राजा

इसके बाद राजा दशरथ नीति अनुसार महल में सभा को बुलाते हैं और अपनी इच्छा सभी के सामने रखते हैं. राजा दशरथ बताते हैं कि वो अब इन जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहते हैं. वो अपने पुत्र राम को राजा बना उनका राज्याभिषेक करना चाहते हैं. राजा दशरथ के इस फैसले का महल में हर कोई स्वागत करता है. हर कोई राम की तारीफ करने लगता है. हर कोई राजा दशरथ के फैसले के साथ सहमति दिखाता है. ये देख राजा दशरथ प्रसन्न हो जाते हैं और राम को बुलाने का आदेश देते हैं. राम के वहां पहुंचते ही राजा दशरथ अपने मन की व्यथा भी बताते हैं और राम को अयोध्या का राजा बनाने की अपनी मंशा भी साफ करते हैं. लेकिन राजा दशरथ का ये फैसला सुन श्रीराम बेहद दुखी हो जाते हैं और इसे अनुचित करार देते हैं. राम के मुताबिक जब उनके पिता अभी जीवित हैं वो कैसे ये जिम्मेदारी उठा सकते हैं. लेकिन राजा दशरथ राम को समझाते हैं. खुद गुरु वशिष्ठ भी राम का मार्गदर्शन करते हैं और इस फैसले को सभी का भला करने वाला बताते हैं. इसके बाद श्रीराम सवाल उठाते हैं कि बिना भरत और शत्रुघ्न के राज्याभिषेक कैसे किया जा सकता है. इस पर गुरु वशिष्ठ के अनुसार राज्याभिषेक का यही सही मुहूर्त है.

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मंथरा ने कैकेयी को भड़काया

इस खबर से उत्साहित लक्ष्मण ये बात रानी कौशल्या को बताते हैं. वो खुद देवी सीता को भी जानकारी देते हैं. लेकिन एक तरफ जब पूरी अयोध्या में खुशी का माहौल है तब रानी कैकेयी की दासी मंथरा का मुंह उतरा हुआ है. वो इस खबर से काफी नाराज है. मंथरा रानी कैकेयी को राम के राज्याभिषेक की बात बताती भी है और उन्हें भड़काने की कोशिश भी करती है. मंथरा रानी कैकेयी के मन में नफरत का बीज डाल देती है.

इनपुट: पूजा त्रिवेदी

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