राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की वसुंधरा राजे सरकार का एक फैसला चर्चा का विषय बन गया. बीजेपी सरकार ने एक आदेश जारी किया कि आने वाली 5 सितंबर को राज्य के शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा. और जो इस कार्यक्रम में नहीं आएगा उसकी सैलरी काट ली जाएगी. लेकिन विवाद के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया.
सम्मानित करने वाले शिक्षक सिर्फ वही होंगे, जिनकी नियुक्ति 13 दिसंबर, 2013 के बाद हुई है. यानी वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री बनने के बाद वाले नियुक्त किए गए शिक्षक ही सम्मानित किए जाएंगे.
हालांकि, इस आदेश के साथ ही एक ऐसी शर्त लगाई गई थी, जिसे धमकी के तौर पर देखा जा रहा था. सरकार ने आदेश दिया कि जो शिक्षक इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा, उसकी सैलरी काट ली जाएगी. विवाद के बाद अब सैलरी कटने वाले आदेश को भी वापस ले लिया गया है.
ये कार्यक्रम 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर मशहूर अमरुदों के बाग में आयोजित होगा. आदेश के बाद से ही विपक्ष इसकी निंदा कर रहा है. इस कार्यक्रम में किसी के भी काले कपड़े पहनकर आने पर भी पाबंदी लगाई गई थी.
राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शपथ लेने के दिन 13 दिसंबर 2013 से लेकर 1 सितंबर के बीच जितने भी टीचरों को नौकरी दी गई है वह सभी जयपुर के अमरूदों के बाग में आएं, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे उनका सम्मान करेंगी.
दावा है कि वसुंधरा सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 51746 शिक्षकों को नौकरी दी है. इन सभी टीचरों का सम्मान शिक्षक दिवस के मौके पर किया जाएगा.
लेकिन इस सम्मान के साथ साथ अजीबोगरीब फरमान भी भरतपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ने दिया था जिसमें कहा गया है कि जो भी शिक्षक जयपुर में 5 सितंबर को अमरूदों के बाग में सरकार से सम्मानित होने के लिए उपस्थित नहीं होंगे उनका वेतन काटा जाएगा. विवाद इसी पर शुरू हुआ था.
बांटे जा रहे हैं विशेष पहचान पत्र
ऐसे शिक्षकों को सम्मेलन में शामिल होने के लिए पहचान पत्र बनाया गया है और जिला शिक्षा अधिकारी इन सभी टीचरों को पहचान पत्र बांट रहे हैं.
कार्यक्रम में आने वालेसभी शिक्षकों को एक वक्त के हिसाब से भोजन का पैकेट (₹120) दिया जाएगा. जयपुर में इनके रुकने की व्यवस्था भी सरकारी स्तर पर कराई जा रही है.
उधर राजस्थान शिक्षक संघ ने आरोप लगाया है कि शिक्षक दिवस के दिन इस तरह से राजनीति करना ठीक नहीं है. क्या 2013 के पहले नौकरी पाने वाले शिक्षक सम्मान की हकदार नहीं हैं. सरकार वोटों के लिए इस तरह से टीचरों के बीच भेद कर रही है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि टीचरों को वसुंधरा राजे गुलाम नहीं समझे और इस तरह से बर्ताव नहीं करें.
शरत कुमार