नॉर्थ-ईस्ट के उग्रवादियों को रोकने के लिए म्यांमार की सेना ने सीमा पर संभाला मोर्चा

म्यामांर में चल रहे उग्रवादी शिविरों पर शिकंजा कसने के लिए अब वहां की सेना ने कमर कस ली है. म्यांमार की सेना ने उग्रवादियों तक सामान पहुंचने के रास्ते को बंद करने के मकसद से भारतीय सीमा के नजदीक मोर्चा संभाला है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2015,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST

म्यामांर में चल रहे उग्रवादी शिविरों पर शिकंजा कसने के लिए अब वहां की सेना ने कमर कस ली है. म्यांमार की सेना ने उग्रवादियों तक सामान पहुंचने के रास्ते को बंद करने के मकसद से भारतीय सीमा के नजदीक मोर्चा संभाला है.

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मौजूदा अभियान का उद्देश्य म्यामांर के तागा में गतिविधियां चला रहे उग्रवादियों के शिविरों पर निशाना साधना है. इस इलाके तक पहुंचने के लिए भारत-म्यामांर सीमा से घने जंगलों से होकर सात दिन का सफर करना होगा. उन्होंने कहा कि तागा में NSCN-K और UNLP समेत कई उग्रवादी संगठनों के शिविर हैं.

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सूत्रों ने कहा कि म्यामांर के बल भारत की सीमा के पास मोर्चा संभालकर भारत की ओर से किसी को सीमापार दो किलोग्राम से ज्यादा राशन नहीं लाने दे रहे, जिससे उग्रवादियों को जरूरी सामान की कमी पड़ सकती है. उन्होंने कहा कि म्यामांर के बलों की मौजूदगी से सीमा पर निगरानी बढ़ाने में मदद मिली है, जहां पहले ही भारतीय बल पर्वतीय क्षेत्रों में गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं.

देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में गतिविधियां चला रहे उग्रवादी अकसर गांव वालों को धमकाकर उनसे रोजमर्रा की चीजें, खाने का सामान देने और बलों की गतिविधियों की जानकारी पहुंचाने के लिए कहते हैं. सूत्रों ने कहा कि दोनों बलों के सीमा के दोनों तरफ एक-दूसरे के करीब आने से उनके बीच समझ बढ़ेगी, जिससे उग्रवादियों के खिलाफ अभियान को सहज तरीके से चलाया जा सकेगा.

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गौरतलब है कि भारतीय सेना के जवानों ने कुछ दिन पहले नगालैंड और मणिपुर से लगी म्यामांर की सीमा पर दो ठिकानों पर उग्रवादियों के दो शिविरों पर हमला करने का दावा किया था, जिससे उग्रवादियों को बहुत नुकसान हुआ था. इस कार्रवाई को बीते चार जून को मणिपुर के चंदेल में सेना के काफिले पर उग्रवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले के जवाब में किया गया था. हमले में 18 जवान मारे गए थे.

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