आधुनिक भारत के निर्माता/ गणतंत्र दिवस विशेष
इलात्तूवैलापिल श्रीधरन अगर सुपरहीरो होते, तो उनका पहले से तैयारशुदा नाम होता 'मेट्रोमैन'. उन्होंने हिंदुस्तान के बुनियादी ढांचे के एक सबसे कामयाब निर्माता दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की स्थापना की. वे इतना करामाती काम कर सके, इस पर यकीन नहीं होता, तो इसकी मुख्य वजह यह है कि यह क्षेत्र योजनाओं के खराब क्रियान्वयन और वक्त तथा लागत में बेहिसाब बढ़ोतरी का शिकार रहा है.
मगर डीएमआरसी श्रीधरन की परियोजनाओं को संभालने की अपनी खास शैली की वजह से कामयाब रहा. तेजी से फैसले लेना, बेहद सच्ची और ईमानदारी और खुद में अडिग भरोसा उनकी इस शैली की खासियतें हैं. उन्होंने 2011 में विदा ली और डीएमआरसी उसके बाद से उनके बगैर चल रहा है, पर देश भर में मेट्रो परियोजनाओं से उनका रिश्ता बना हुआ है. विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री जोर देते हैं कि हरेक परियोजना पर उनकी छाप हो और इसके चलते वे सबसे पुराने और बुजुर्ग सरकारी कर्मचारी बन गए हैं जो अब भी सेवा में सक्रिय हैं—वे भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग सेवा में 1954 में शामिल हुए थे.
शहरी कायापलट में उन्हें जो महारत हासिल है, उसी की वजह से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उन्हें 2014 में भारत रत्न देने की मांग की थी और इस साल राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के संभावित उम्मीदवार के तौर पर उनके नाम पर विचार किया गया था.
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संध्या द्विवेदी / मंजीत ठाकुर