लता मंगेशकरः देश की आवाज

लता मंगेशकर(1929-)सात दशक से भी ज्यादा वक्त से भारत उनके गीतों के साथ बड़ा हुआ है

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लता मंगेशकर लता मंगेशकर

संध्या द्विवेदी / मंजीत ठाकुर

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  • 25 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 6:11 PM IST

आधुनिक भारत के निर्माता/ गणतंत्र दिवस विशेष

लता मंगेशकर का हिंदी फिल्मी गीतों के लिए वही योगदान है जो ग़ालिब का उर्दू अदब के लिए और मकबूल फिदा हुसैन का पेंटिंग के लिए. इस क्षेत्र में काम करने वाले तमाम दिग्गजों में उनका स्थान हमेशा अव्वल रहा है, चाहे वह मोहम्मद रफी हों, किशोर कुमार, मुकेश, मन्ना डे या उनकी अपनी छोटी बहन आशा भोंसले. वे उन सबसे आगे निकल गईं, एक के बाद एक फिल्मों में हिट गाने गाती रहीं और सात दशक से भी ज्यादा वक्त से भारतीयों को यादगार पल देती रही हैं. वे मदन मोहन के कंपोजीशन की गज़ल थीं और नौशाद के तरानों का गुरूर. जब हम अपनी आंखें बंद करके हिरणी जैसी आंखों वाली शर्मिला टैगोर को 'कुछ दिल ने कहा' गाते हुए सुनते हैं तो वह आवाज में महीन कंपन लिए लता मंगेशकर होती हैं जो (अनुपमा) फिल्म में शर्मिला के संकोची और मितभाषी व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करती हैं. और फिर वही लता प्यार किया तो डरना क्या (मुगल-ए-आजम) में हिम्मती, बागी और ठाठदार आवाज सुनाती हैं.

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जब उन्होंने ऐ मेरे वतन के लोगों  गाया तो न केवल पंडित नेहरू की आंखें भीग गईं बल्कि पूरे देश के जख्मों पर मानो मरहम लग गया. लेकिन लता की कहानी में काफी कुछ और भी है. उन्होंने 1940 के दशक में 13 साल की उम्र में फिल्मों में कदम रखा. तब उनका मकसद अपने पिता की मौत के बाद मुश्किलें झेल रहे परिवार की मदद करना था. उन्होंने तब एक ऐसे फिल्म उद्योग में अपनी जगह बनाई जहां असहमति के स्वर ज्यादा होते थे और जहां पितृसत्ता हावी थी. उन्होंने खुद ही गाने वाले अभिनेताओं की जगह अपने जैसे प्रशिक्षित पाश्र्वगायकों को दिलाकर बदलाव का नया दौर शुरू किया. जब उनकी 'ख्याति उठाए जा उनके सितम' (अंदाज) और 'आएगा आने वाला' (महल) जैसे गानों के बाद आसमान छूने लगी तो न केवल उनकी आवाज का जादू फैलने लगा बल्कि बदलाव की बयार बहने लगी.

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उन्होंने पाश्र्वगायकों के लिए रॉयल्टी और उनके लिए अलग से फिल्मफेयर अवार्ड दिए जाने को लेकर भी संघर्ष किया. जब उनकी उर्दू को लेकर सवाल उठे तो उन्होंने अपने लिए एक शिक्षक रखा. वे तब तक गानों का अभ्यास करतीं, जब तक उनका तलफ्फुज बिल्कुल दुरुस्त नहीं हो जाता. इसी अभ्यास ने उन्हें परफेक्ट बना दिया. लता मंगेशकर आज हम सभी के लिए वही हैं, एकदम परफेक्ट.

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