बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय परिसर से 'लेडी जस्टिस' की मूर्ति हटा दी गई है. ये कदम वहां के धार्मिक कट्टरपंथियों के कड़े विरोध के बाद उठाया गया है. बीडीन्यूज 24 की रिपोर्ट के अनुसार, कट्टरपंथियों का मानना है कि यह मूर्ति ग्रीक की देवी थेमिस का दूसरा रूप है और साड़ी पहने है, जो इस्लाम धर्म के विरुद्ध है.
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क्यों हुआ विरोध
तलवार और न्याय के तराजू को अपने हाथों में पकड़े इस मूर्ति का निर्माण दिसंबर 2016 में किया गया था. जबकि इस्लाम में मूर्तिपूजा मना है. लेकिन मूर्तिकार मृणाल हक ने कहा कि यह ग्रीक की देवी की मूर्ति नहीं थी, बल्कि एक बंगाली महिला की मूर्ति थी.
शेख हसीना ने मानी विरोधियों की बात
विरोध के मद्देनजर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस मूर्ति को हटाने संबंधी अपनी स्वीकृति अप्रैल में ही दे दी थी.
हसीना ने कहा था कि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा से पूछा है कि मूर्ति में ग्रीक की देवी को साड़ी पहनी हुई क्यों दिखाया गया है? इसे क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए? क्या वे नहीं देखते कि यह ग्रीक की देवी नहीं लगती. यह आधी ग्रीक और आधी बंगालन है. क्या वे इस पर गौर नहीं कर रहे?
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नष्ट कर दी गई मूर्ति
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मूर्ति को हटाने और उसे नष्ट करने में तीन घंटे का समय लगा. ये मूर्ति वहां के सर्वोच्च न्यायालय के सामने लगी थी.