भारतीय सेना का जवान चंदू बाबूलाल चौहान 21 जनवरी को पाकिस्तान से रिहा होकर स्वदेश लौट आया है. चंदू चौहान 29 सितंबर को गलती से एलओसी क्रॉस करके पाकिस्तान में चला गया था. ये वो दिन था जब भारतीय फौज के बहादुर कमांडोज़ ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में घुसकर आठ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था. ऐसे में चंदू चौहान को पाकिस्तानी सेना क्या सही सलामत वापस करेगी ये बड़ा सवाल सबके ज़हन में था.
21 जनवरी को हुआ रिहा
साढ़े तीन महीने बाद भारतीय सरकार के विभिन्न खेमों ने अपने-अपने स्तर पर बातचीत करके पाकिस्तान की सेना के आला अधिकारियों से लगातार संपर्क बनाकर चंदू चौहान को सही सलामत वापस लाने में सफलता
प्राप्त की और चंदू स्वदेश लौट आया. दोनों देशो के बीच संबंध भले ही कड़वे हों लेकिन पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान सरकार द्वारा उठाए गए इस मित्रता वाले कदम की सराहना करनी होगी.
चंदू को अभी घर जाने की इजाजत नहीं
अटारी वाघा बॉर्डर पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने चंदू चौहान को जब इंडियन अथॉरिटी को सौंपा तो हिंदुस्तान की जनता को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था. यही हाल चंदू चौहान के भाई भूषण चौहान, उसके
मित्रों और अन्य लोगों का भी था. चंदू के परिवार के सभी लोग उससे मिलने के लिए बेचेन थे. लेकिन अभी भारतीय फौज द्वारा चंदू की सेहत की जांच, बाकी पूछताछ और कई सवालों के जवाब जानने की वजह से चंदू से
कब मिलना होंगा ये तय नहीं था.
चंदू से मिलने पहुंचे परिवार के लोग
चंदू के परिवारवालों से रहा नहीं गया. चंदू के बड़े भाई भूषण और दादा जी चंदू से मिलने अमृतसर सेना कैंप पहुंचे और सेना के आला अधिकारियों द्वारा इजाजत मिलने के बाद चंदू से मिले.
दोबारा मिलना जीवन का सबसे बड़ा आंनद
जब बिछड़े हुए दो भाई मिले तो दोनों गले मिले और उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा. मिलने के बाद दोनों भाई रो पड़े और एक दूसरे को छोड़ने के लिए तैयार न हुए. पाकिस्तान में बंधक बनाए गए चंदू को जब
हिंदुस्तान को सौंपा गया था तबसे उसके चेहरे के हाव-भाव गायब थे. लेकिन जब चंदू अपने परिवारवालों से मिला तो वो एक बच्चे की तरह अपने भाई और दादा जी से लिपट गया. कम ही सही लेकिन जितना भी समय
चंदू के साथ भूषण और दादा ने बिताया वो उनके लिए काफी रहा. उन्होंने कहा कि चंदू से जुदा होने का मन तो नहीं हो रहा लेकिन भारतीय सेना द्वारा जारी पूछताछ अभी बाकी है.
नानी के देहांत की खबर सुनकर चंदू ने अपना आपा ही खो दिया. चंदू को बताया गया कि उसकी नानी की अस्तियां विसर्जित करनी अभी बाकी हैं. वो चंदू के घर आने के बाद ही विसर्जित होंगी. चंदू को सेना की पूछताछ पूरी होने के बाद घर जाने की इजाजत मिलेंगी. चंदू से मिलने के बाद भूषण और दादा जी अपने गांव वापस आ गए.
पंकज खेळकर