सुनामी के 10 साल पूरे, अभी भी नहीं भरे अनाथ बच्चों के जख्म

देश-दुनिया के करीब सवा दो लाख लोगों की जान लेने वाली सुनामी के आज दस साल पूरे हो रहे हैं. मृतकों की आत्मा की शांति के लिए तमिलनाडु समेत कई जगहों पर प्रार्थना सभा आयोजित की जा रही है.

Advertisement
Symbolic Image Symbolic Image

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 4:37 PM IST

देश-दुनिया के करीब सवा दो लाख लोगों की जान लेने वाली सुनामी के दस साल पूरे हो रहे हैं. मृतकों की आत्मा की शांति के लिए तमिलनाडु समेत कई जगहों पर प्रार्थना सभा आयोजित की जा रही है.

10 साल पहले, 26 दिसंबर, 2004 को आए सुनामी के कहर ने पलभर में लाखों लोगों की जिंदगी का सफर खत्म कर दिया था. उस तबाही के बाद कई माता-पिता की गोद सूनी हो गई थी और कई बच्चे अनाथ हो गए थे.

Advertisement

'हेडलाइंस टुडे' ने तमिलनाडु के कुड्डालोर व नागापट्टनम के वैसे कई बच्चों का पता लगाया, जो सुनामी की वजह से अनाथ हो गए. कुड्डालोर में नंदिनी नाम की मासूम बच्ची सुनामी की वजह से अनाथ हो गई थी. तब वह महज 5 साल की ही थी. आपदा ने उसकी मां की जान ले ली. उसके पिता का देहांत तभी हो चुका था, जब वह अपनी मां के गर्भ में थी.

नंदिनी उन दिनों के बारे में बताती है, 'मैंने कई बार उस हादसे को याद करने की कोशिश की, पर मैं नाकाम रही. मुझे बस ऊंची उठती लहरों और भयानक आवाज की याद है, पर मुझे अपनी मां का चेहरा याद नहीं है. सुनामी के बाद मुझे फोटो या कोई अन्य चीज नहीं मिल सकी.'

कुड्डालोर में जयाप्रिया और उसकी चार बहनें भी सुनामी की वजह से अनाथ हो गईं. आपदा में इनकी मां की जान चली गई. इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और पांच बच्चों को किस्मत के भरोसे छोड़ दिया.

Advertisement

जयाप्रिया ने बताया, 'मेरे पिता शहर से बाहर काम करने जाया करते थे. मेरी मां मछली बेचती थीं. सुनामी में हमने अपनी मां को खो दिया. मेरे पिता जब चाहते, तो हमसे मिलने आ जाया करते थे. बाद में उन्होंने दूसरी शादी कर ली.'

सुनामी ने ऐसे ही हजारों बच्चों को मां की ममता और पिता के स्नेह से हमेशा के लिए वंचित कर दिया. 10 साल पूरे होने पर इसके पुराने जख्म फिर से ताजा हो गए हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement